पन्नाई यादों का कल्पतरु भूटान : भूटान की आत्मा से संवाद करती एक अंतर्यात्रा

“पन्नाई यादों का कल्पतरु भूटान” केवल एक यात्रा-वृत्तांत नहीं, बल्कि एक संवेदनशील आत्मा की उस यात्रा का चित्रण है, जो प्रकृति, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के अद्भुत समन्वय से अनुप्राणित होती है। डॉ. शुभदा पांडेय की यह पुस्तक भूटान देश के भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक जीवन की सजीव झलक प्रस्तुत करती है, जिसमें पर्यावरण संरक्षण और सादगीपूर्ण जीवन को जीवन का केंद्र बिंदु माना गया है।
पुस्तक की शुरुआत से ही पाठक यह महसूस करता है कि यह कोई सतही यात्रा-विवरण नहीं है, बल्कि यह लेखिका की अंतरात्मा से जुड़ा अनुभव है। वे बताती हैं कि भूटान उनके लिए सिर्फ एक देश नहीं बल्कि “खुशियों का देश” है, जहाँ लोग प्रकृति से प्रेम करते हैं, पेड़ों की पूजा करते हैं, और जहाँ जीवन का असली सौंदर्य उसकी सरलता और मौलिकता में निहित है।
लेखिका भूटान की यात्रा को यादों के कल्पवृक्ष की संज्ञा देती हैं और इसे अपनी आत्मा के बहुत करीब मानती हैं। भूटान के गांव, वहाँ की गलियाँ, पर्वतीय रास्ते, रंग-बिरंगे परिधान और स्थानीय नागरिकों का भोला व्यवहार, सब कुछ लेखिका की लेखनी में ऐसा जीवंत हो उठता है जैसे पाठक स्वयं वहाँ की यात्रा कर रहा हो।
भूटान के प्रति लेखिका का प्रेम सबसे अधिक तब झलकता है जब वह देश के पर्यावरणीय दृष्टिकोण की बात करती हैं। वे बताती हैं कि भूटान में जंगलों की रक्षा एक धार्मिक कार्य माना जाता है। यहाँ के लोग पेड़ों को काटने की बजाय उनके संरक्षण की शपथ लेते हैं। देश का 70% हिस्सा वनाच्छादित है, और यह न केवल सरकार की नीति है, बल्कि लोगों की आस्था और जीवनशैली का हिस्सा भी। वे यह भी उल्लेख करती हैं कि तंबाकू और प्लास्टिक जैसे प्रदूषकों पर प्रतिबंध है, और इस तरह यह देश पर्यावरण की दृष्टि से पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा बन गया है।
भूटान के लोगों की जीवनशैली, उनकी सरलता और सामूहिकता की भावना को लेखिका विशेष रूप से रेखांकित करती हैं। वे बताती हैं कि यहाँ के नागरिक सुख की परिभाषा भौतिकता में नहीं बल्कि सामाजिक समरसता, प्रकृति से सामंजस्य और आध्यात्मिक शांति में ढूंढते हैं। यही कारण है कि भूटान “Gross National Happiness (GNH)” की अवधारणा पर आधारित देश है, जहाँ जीवन की गुणवत्ता का आकलन विकास दर से नहीं, बल्कि नागरिकों की आंतरिक संतुष्टि से किया जाता है।
पुस्तक में भूटान के धार्मिक और सांस्कृतिक आयामों का भी भावनात्मक वर्णन किया गया है। बौद्ध धर्म से प्रभावित यह देश अपने हर पर्व, मंदिर और प्रतीक में अध्यात्मिक ऊर्जा समाहित किए हुए है। लेखिका टाइगर नेस्ट जैसे पवित्र स्थानों की यात्रा का वर्णन करती हैं, जहाँ तक पहुँचना शारीरिक और मानसिक तपस्या के समान है। वे कहती हैं कि इन स्थानों की यात्रा केवल बाहरी नहीं, बल्कि एक आंतरिक यात्रा है, जो आत्मा को शांत करती है और भीतर के द्वंद्व को हरती है।
भूटान की स्त्रियाँ लेखिका के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। वे बताती हैं कि यहाँ महिलाएं समाज के हर क्षेत्र में भागीदारी निभा रही हैं, चाहे वह संपत्ति का अधिकार हो, व्यापार या कृषि। यहाँ की बेटियाँ परिवार की संपत्ति की वारिस बनती हैं और समाज में उन्हें सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। यह पक्ष लेखिका को विशेष रूप से प्रभावित करता है और वे इसे भारतीय समाज के लिए अनुकरणीय मानती हैं।
भूटान का परिधान, उनके जूते, उनकी सज्जा और हर रंग-बिरंगा दृश्य लेखिका की कलम से ऐसा जीवंत होता है मानो किसी चित्रकार ने कैनवास पर सजीव रंगों से भूटान की आत्मा उतार दी हो। वे बताती हैं कि यहाँ का हर रंग एक प्रतीक है, शांति, आस्था, परंपरा और गरिमा का।
पुस्तक का शीर्षक “पन्नाई यादों का कल्पतरु भूटान ” अपने आप में ही भूटान के प्रति लेखक की भावनात्मक निकटता को दर्शाता है। यह शीर्षक प्रतीक है उस देश का जो केवल पेड़ों का मित्र नहीं, बल्कि संपूर्ण प्रकृति, मानवीयता और संतुलन का साथी है। लेखिका के अनुसार, भूटान की इस पहचान को सुरक्षित रखना और इससे प्रेरणा लेना आज के प्रत्येक राष्ट्र के लिए आवश्यक है।
पुस्तक की भाषा सहज, आत्मीय और चित्रात्मक है। लेखिका ने कठिन शब्दों का प्रयोग किए बिना गहन भावनाओं को व्यक्त किया है। कहीं-कहीं कविता जैसी लयात्मकता पाठक को भीतर तक छू जाती है। वर्णन इस प्रकार है कि प्रकृति, पर्वत, नदियाँ, खेत और गाँव स्वयं बोलने लगते हैं।
लेखिका अपने यात्रा अनुभवों के माध्यम से यह स्पष्ट संदेश देती हैं कि सच्ची सम्पन्नता वही है जहाँ जीवन और प्रकृति के बीच संतुलन हो। जहाँ पेड़ों से प्रेम हो, जहाँ पशु-पक्षी भी अधिकारों से संपन्न हों, और जहाँ हर नागरिक को जीने की गरिमा प्राप्त हो। भूटान की इसी सोच को लेखिका इस पुस्तक में जीवंत करती हैं।
इस संपूर्ण पुस्तक में कहीं भी उपदेशात्मक स्वर नहीं है, न ही राजनीतिक विश्लेषण की कोई गहराई, फिर भी यह पुस्तक एक गहरी सामाजिक, सांस्कृतिक और मानवीय विचारधारा को पाठक के मन में स्थापित कर देती है। यही इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है।
“पन्नाई: यादों का कल्पतरु भूटान” एक ऐसी पुस्तक है जो पाठक को अपने भीतर झाँकने के लिए प्रेरित करती है। यह केवल भूटान की यात्रा नहीं, बल्कि जीवन को देखने और समझने की एक नई दृष्टि प्रदान करती है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए है जो जीवन में सादगी, शांति और संतुलन की तलाश में है।
यह पुस्तक निस्संदेह एक कल्पतरु की तरह है, जिसमें अनुभवों के पत्ते, स्मृतियों की डालियाँ और भावनाओं के फूल लगे हैं, जो पाठक को केवल भूटान से नहीं, बल्कि स्वयं से जोड़ते हैं।
पुस्तक: पन्नाई यादों का कल्पतरु भूटान
लेखिका: डॉ. शुभदा पांडेय
हिन्दी पब्लिकेशन,
क्रांति निवास, मलेपुर, सुरियावां, भदोही, उत्तर प्रदेश 221404
दूरभाष – 9005638004, 9530696004