नारनौल के डॉ निखिल यादव ने महात्मा गांधी पर श्री रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद के प्रभाव पर लिखी पुस्तक
महेंद्रगढ़ जिले के नारनौल तहसील के छोटे से गांव ढाणी चुड़ेली ( फैज़ाबाद ) में जन्मे निखिल यादव सुपुत्र सुरेश कुमार यादव एवं अनीता यादव ने ” महात्मा गांधी पर श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का प्रभाव” विषय पर पुस्तक लिख कर अपने गांव का नाम सम्पूर्ण भारत में रोशन किया है। निखिल का बचपन गांव में ही बीता और फिर वह पढ़ाई के लिए पहले गांव से नारनौल और बाद में पिताजी की सरकारी नौकरी के कारण नारनौल से पंचकुला चले गए।
बाद में ग्रेजुएशन के लिए वह दिल्ली आ गये जहा उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड कॉमर्स से स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग से परास्नातक की। उन्होंने दिल्ली में स्थित देश के प्रतिष्ठित संस्थान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के विज्ञान नीति अध्ययन केन्द्र, से पी- एच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
लेकिन यह मात्र निखिल यादव का परिचय नहीं है वह पिछले 8 वर्षों से विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी से जुड़े हुए है और वर्तमान में विवेकानन्द केन्द्र, उत्तर प्रान्त (दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू व कश्मीर, लद्दाख) में प्रान्त युवा प्रमुख हैं। अपने समय और ऊर्जा का अधिकतर भाग वह संगठन को देते है। चाहे वह हिमचाल हो या उत्तराखंड या फिर कश्मीर निखिल जमीनीतौर पर जाकर बच्चों एवं युवाओं के लिए व्यक्तित्व विकास के शिविर आयोजित करते है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के 3 दर्जन से अधिक महाविद्यालयों में उनको व्याख्यान हुआ है जिसमें देश का नंबर एक कॉलेज मिरांडा हाउस शामिल है। चाहे वह हंसराज कॉलेज हो या किरोड़ीमल , श्री वेंकटेश्वरा हो या देशबंधु कॉलेज निखिल को हर जगह से बौद्धिक देने के लिए बुलाया जाता है। निखिल विवेकानंद केंद्र दिल्ली शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम ” युवा भारत अपने आप को जानो – यंग इंडिया क्नोव त्यसलेफ” का भी नेतृत्व करते है जिसके माध्यम से हर वर्ष हज़ारो युवाओं को वह स्वामी विवेकानंद के विचाओ से रूबरू करवाते है।
इसके अतरिक्त निखिल अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनार, यथा दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय, नई दिल्ली; जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय; जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय; एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय, ग्रेटर नोएडा; गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर, उत्तराखंड आदि अनेक प्रतिष्ठित स्थानों में व्याख्यान और प्रस्तुतियां दे चुके है।
उनके अनेक लेख कई प्रमुख राष्ट्रीय समाचार पत्रों और न्यूज़ पोर्टलों में प्रकाशित हुए है । अब उन्होंने एक बार फिर अपनी दूसरी पुस्तक ” महात्मा गांधी पर श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद का प्रभाव” से अपने गांव या कहे पूरे जिले का नाम देश में रोशन कर दिया है। निखिल यादव ने बताया कि ” पुस्तक में यह विस्तार से बताया गया है कि गांधीजी, जो स्वामी रामकृष्ण और स्वामी विवेकानंद से कभी नहीं मिले, फिर भी उनके उपदेशों से गहरे प्रभावित थे। .
गांधीजी अक्सर अपने भाषणों, पत्रों और विभिन्न मुद्दों पर चर्चाओं में उनके शिक्षाओं का उल्लेख करते थे। डॉ. निखिल यादव इस कार्य के माध्यम से गांधीजी के दर्शन की आध्यात्मिक नींव को खोले हैं और यह बताया है कि रामकृष्ण और विवेकानंद के विचारों ने उनके नैतिक और राजनीतिक विश्वासों को किस तरह आकार दिया।