नई दिल्ली में बस्तर के नक्सल पीड़ितों की आवाज़: विकास और समर्थन की मांग
नई दिल्ली, 20 सितंबर 2024— बस्तर के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से आए पीड़ितों ने दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में अपनी पीड़ा और कठिनाइयों को सामने रखा। नक्सल हिंसा से जूझ रहे इन ग्रामीणों ने सरकार से मदद और विकास की मांग की। उन्होंने बताया कि न सिर्फ माओवादी हिंसा, बल्कि गांवों में विकास की कमी और बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता से भी वे संघर्ष कर रहे हैं।
पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों की प्रशंसा करते हुए कहा कि बस्तर के विकास के लिए सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। हाल ही में शुरू की गई “नियद नेल्ला नार योजना” के तहत बस्तर के दुर्गम इलाकों में सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाओं जैसी सुविधाओं को पहुंचाने का काम किया जा रहा है, जिससे लोगों का जीवनस्तर बेहतर हो रहा है।
माओवादियों की हिंसा का दर्द
बीजापुर के अवलम मारा ने 2017 में एक माओवादी प्रेशर बम विस्फोट में अपना बायाँ पैर खो दिया। वहीं, नारायणपुर की 13 वर्षीय राधा सलाम 2013 में माओवादी विस्फोट का शिकार बनीं, जिसमें उन्होंने अपनी एक आँख खो दी। दंतेवाड़ा की भीमे मरकाम, जो अपने परिवार की देखभाल कर रही थीं, ने 2016 में एक माओवादी आईईडी धमाके में अपना पैर गंवा दिया।
2010 में सुकमा जिले में एक यात्री बस पर माओवादी हमला हुआ, जिसमें 15 निर्दोष ग्रामीण मारे गए और कई अन्य घायल हो गए। इस हमले में दुधी महादेव और ममता गोरला भी बुरी तरह घायल हुए।
इन घटनाओं ने वहां मौजूद लोगों को गहराई से झकझोर दिया, जिससे नक्सल हिंसा के मानवीय पहलुओं पर ध्यान केंद्रित हुआ।
केंद्र सरकार और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता
बस्तर के लगभग 70 नक्सल पीड़ित परिवारों ने नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और अपनी समस्याओं को साझा किया। गृह मंत्री शाह ने नक्सल पीड़ितों के साहस की सराहना की और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार नक्सलवाद के उन्मूलन के लिए ठोस कदम उठा रही है। उन्होंने कहा कि बस्तर के विकास और पीड़ितों की सहायता के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की प्रेरणा से यह मुलाकात हुई, जहां सरकार ने नक्सल उन्मूलन के लिए अपने दृढ़ संकल्प को दोहराया।
इस कदम से न केवल पीड़ितों के संघर्ष को मान्यता मिली, बल्कि सरकार के विकास और समर्थन के वादे ने उन्हें आशा भी दी।