कांकेर में वन्यप्राणियों का आतंक, रिहायशी इलाकों में बढ़ रही घुसपैठ
छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में वन्यप्राणियों के रिहायशी इलाकों में घुसने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। हाल ही में कांकेर नेशनल हाइवे के किनारे एक भालू अचानक आ गया, जिससे इलाके में दहशत का माहौल पैदा हो गया। घटना के दौरान सड़क किनारे खड़ा एक युवक भालू के हमले से बाल-बाल बचा, वहीं पास में मौजूद कुत्ते भी भालू की तरफ दौड़ पड़े। इस घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है, जिसे देखने के बाद स्थानीय निवासियों में भय का वातावरण फैल गया है।
कांकेर जिला नक्सल घटनाओं के लिए तो पहले ही जाना जाता है, लेकिन अब वन्यप्राणियों की बढ़ती घुसपैठ ने इसे एक नए कारण से चर्चा में ला दिया है। रोजाना वन्य जीवों का रिहायशी क्षेत्रों में आना और ग्रामीण इलाकों में घुसना लोगों के लिए चिंता का विषय बन चुका है। पिछले कुछ दिनों में भालू, तेंदुआ और अन्य जंगली जानवरों ने कांकेर के आसपास के इलाकों में दहशत फैलाई है। कांकेर शहर और आसपास के क्षेत्र पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, जहां भालू और तेंदुए बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।
कांकेर शहर और आस-पास के क्षेत्रों में वन्यप्राणियों की बढ़ती संख्या ने लोगों में डर पैदा कर दिया है। हाल ही में उदय नगर और राम नगर क्षेत्रों में भालुओं ने दो लोगों पर हमला किया था, जिसके कारण लोग लगातार असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। पिछले एक महीने में कांकेर जिले के पांच अलग-अलग इलाकों से अजगर पकड़े गए हैं, जो इस बात का संकेत हैं कि वन्यप्राणी रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं।
वन्यजीवों की बढ़ती घुसपैठ की खबरें
वन विभाग के अनुसार, कांकेर जिले के आसपास के क्षेत्रों में वन्यप्राणियों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले महीने जिला मुख्यालय से केवल 5 किमी दूर पांच तेंदुओं का झुंड देखा गया था, जो अब भी इसी क्षेत्र में मौजूद है। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, इस इलाके में कुल 8 तेंदुए हैं। दुधावा क्षेत्र के एक गांव में तेंदुओं ने तीन बच्चों पर हमला किया था, जिसमें से एक बच्चे की मौत हो गई थी, जबकि दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए थे। हाल ही में गढ़िया पहाड़ में भी तेंदुआ देखा गया था, जबकि भालू तो इस इलाके में रोजाना देखे जा रहे हैं।
कांकेर में वन्यप्राणी नियंत्रण की आवश्यकता
वन्यप्राणियों के रिहायशी इलाकों में घुसने की घटनाओं को लेकर स्थानीय प्रशासन की ओर से अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे स्थानीय निवासियों में असुरक्षा की भावना बढ़ रही है। वन विभाग के अधिकारियों को जल्द ही इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि स्थानीय लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके और वन्यप्राणियों के जीवन और मानव जीवन के बीच संतुलन स्थापित किया जा सके।
इन घटनाओं से स्पष्ट है कि कांकेर जिले में वन्यप्राणियों की बढ़ती घुसपैठ पर कड़ी निगरानी और उचित कदम उठाने की आवश्यकता है। ऐसा नहीं हुआ तो इन जंगली जानवरों की हरकतों से और भी अनहोनी घटनाएं घट सकती हैं।