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लद्दाख में भारत-चीन सैनिकों की वापसी, शांति की उम्मीद बढ़ी

पूर्वी लद्दाख में डेमचोक और देपसांग मैदानों से भारत और चीन के सैनिक धीरे-धीरे पीछे हट रहे हैं। यह कदम दोनों देशों के बीच बनी आपसी सहमति का परिणाम है, जिसमें भारतीय सैनिकों ने अपनी गाड़ियाँ और गोला-बारूद वापस ले लिया है। इस स्थिति से सीमा पर शांति की बहाली की उम्मीद जताई जा रही है।

यहां के सैनिक उस स्थान पर तैनात थे, जहां भारत-चीन के बीच 2020 से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, भारतीय सैनिकों की वापसी शुक्रवार से शुरू हुई है। इस प्रक्रिया के दौरान सैनिकों ने कुछ अस्थायी संरचनाएँ, जैसे टेंट और शेड, हटा दिए हैं। हालांकि, पूरी तरह से वापसी में अभी कुछ समय लगेगा। जब दोनों सेनाएँ पहले वाली स्थिति पर लौट आएंगी, तब पेट्रोलिंग फिर से शुरू होगी।21 अक्टूबर को दोनों देशों के बीच पेट्रोलिंग पर सहमति बनी थी। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने तब कहा था कि भारत और चीन में सीमा पर पेट्रोलिंग प्रणाली को लेकर समझौता हुआ है, जिससे स्थिति मई 2020 (गलवान टकराव) से पहले जैसी हो जाएगी।

इस समझौते के तहत, पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने पर सहमति हुई है। इसका मतलब है कि चीनी सेना उन क्षेत्रों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विक्रम मिस्री ने बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में पेट्रोलिंग और 2020 के बाद उत्पन्न मुद्दों को सुलझाने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है।अप्रैल 2020 में एक सैन्य अभ्यास के बाद, चीनी सेना ने पूर्वी लद्दाख में कई स्थानों पर अतिक्रमण किया था। हालाँकि, दो साल बाद, चीन की पीएलए ने चार स्थानों से पीछे हटने का निर्णय लिया है। दौलत बेग ओल्डी और डेमचोक के विवादित क्षेत्रों में गश्त को लेकर सहमति नहीं बनी थी, जिससे भारतीय सेना को कई स्थानों पर रोका गया था।

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