छत्तीसगढ़ में हैरिटेज वॉक श्रृंखला : रायपुर के इतिहास की खोज
रायपुर 12 जुलाई 2024/ भारत द्वारा भारत मंडपम, नई दिल्ली में 21 से 31 जुलाई 2024 के बीच प्रतिष्ठित यूनेस्को विश्व विरासत समिति सत्र की प्रथम बार मेजबानी करने के इस ऐतिहासिक अवसर पर, पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार के छत्तीसगढ़ नोडल कार्यालय, रायपुर और छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के संयुक्त तत्वाधान में तीन हैरिटेज वॉक श्रृंखला का आयोजन किया जा रहा है। इस श्रृंखला का शुभारंभ आज 12 जुलाई 2024 को पहली हैरिटेज वॉक के साथ हुआ। अगले दो शुक्रवार, यानी 19 और 26 जुलाई 2024 को दो और वॉक की योजना बनाई गई है, जिनका समय प्रातः 0700 से 0900 बजे तक होगा।
आज आयोजित हैरिटेज वॉक के लिए प्रातः 0700 बजे भारी बारिश से बेपरवाह, रायपुर के इतिहास और संस्कृति को गहराई से जानने के लिए उत्सुक स्थानीय निवासी लिली चौक, पुरानी बस्ती पर एकत्रित हुए। इस प्रभावशाली उपस्थिति ने जन समुदाय की अपने शहर की अनूठी विरासत को संरक्षित करने और उसका जश्न मनाने में गहरी दिलचस्पी दिखाई। अगोरा इको-टूरिज्म के अनुभवी डॉ. आलोक कुमार साहू के नेतृत्व में आयोजित इस वॉक ने सभी प्रतिभागियों के लिए एक समृद्ध अनुभव प्रदान किया। डॉ. साहू के ज्ञान और बुद्धिमत्ता ने रायपुर के समृद्ध इतिहास को जीवंत कर दिया, प्रतिभागियों को आकर्षित किया और शहर के वास्तुशिल्प चमत्कारों और छिपी कहानियों के लिए गहरी प्रशंसा को बढ़ावा दिया।
उन्होंने रायपुर के इतिहास के बारे में बताया कि कलचुरि शासक ब्रह्मदेव के दो शिलालेख पंद्रहवीं सदी के आरंभिक वर्षों के हैं, जिनसे ब्रह्मदेव के वंश में उसके पिता रामचंद्र के क्रम में सिंहण और लक्ष्मीदेव की जानकारी मिलती है। रायपुर शहर का उल्लेख 1790 में आए अंग्रेज यात्री डेनियल रॉबिन्सन लेकी के यात्रा वृतांत में भी मिलता है, जिसमें उन्होंने बताया कि यहां बड़ी संख्या में व्यापारी और धनाढ्य लोग निवास करते हैं। यहां किला है, जिसका निचला भाग पत्थरों का और ऊपरी हिस्सा मिट्टी का था। किले में पांच प्रवेश द्वार हैं। पास ही रमणीय सरोवर है। पांच साल बाद आए कैप्टन जेम्स टीलियर ब्लंट बताते हैं कि नगर में 3000 मकान थे। नगर के उत्तर-पूर्व में बहुत बड़ा किला है, जो ढहने की स्थिति में है। वॉक का समापन टूरी हटरी पर हुआ, जिसके बारे में उन्होंने बताया कि यह स्थान महिला सशक्तिकरण और छत्तीसगढ़ में महिलाओं को सदैव ही सम्मानपूर्ण स्थान देने का जीता-जागता उदाहरण है।
यह आयोजन छत्तीसगढ़ पर्यटन बोर्ड की टीम के नेतृत्व में एक सहयोगात्मक प्रयास था जिसमें अनुपम यादव, चंद्र मोहन शर्मा और संदीप साहू शामिल थे। वहीं इस वॉक के आयोजन की सहयोगी संस्था अगोरा इको-टूरिज्म के संस्थापक भाग्येश दुबे एवं सेजल दुबे विशेष रूप से उपस्थित रहे। वॉक का समापन करते हुए, सहायक प्रबंधक सुश्री राधिका शर्मा ने सभी उपस्थित प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया और उन्हें पर्यटन मंत्रालय की ओर से “अतुल्य भारत” कैप्स प्रदान की।
उद्घाटन वॉक को प्रतिभागियों से अत्यधिक सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली, जिन्होंने रायपुर के छिपे हुए रहस्यों को जाना और इसके आकर्षक अतीत के बारे में जानने का भरपूर आनंद लिया। उन्होंने छत्तीसगढ़ में इस तरह की और अधिक विरासत वॉक आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की।
यह विरासत वॉक श्रृंखला की रोमांचक पहल सभी इतिहास और संस्कृति प्रेमी प्रतिभागियों के लिए निःशुल्क रखी गई है, परन्तु इस वॉक का हिस्सा बनने के लिए अग्रिम पंजीकरण अनिवार्य है और जिसके लिए दिए गए नंबर 99680 41077 और 70097 00747 अथवा छत्तीसगढ़ टूरिज्म बोर्ड के उद्योग भवन स्थित रायपुर कार्यालय पर संपर्क किया जा सकता है।