सामाजिक चेतना की आंच का प्रज्जवलन: भूभल
सुस्थापित रचनाकार मीनाक्षी स्वामी का उपन्यास ‘भूभल’ हाल ही में मुझे पढ़ने को मिला। यह बलात्कार के कानूनी पहलू पर
Read moreसुस्थापित रचनाकार मीनाक्षी स्वामी का उपन्यास ‘भूभल’ हाल ही में मुझे पढ़ने को मिला। यह बलात्कार के कानूनी पहलू पर
Read moreकुँए में थोड़ा पानी, मम्मी मेरी रानी पापा मेरे राजा दूध पिलाएँ ताज़ा सोने की खिड़की चांदी का दरवाजा उसमे
Read moreमाटी के कण-कण में क्रंदन, चन्दन जैसी धूल कहाँ है , मायूसी के इस मौसम में कहाँ हैं कलियाँ ,फूल
Read moreकिसानों और मजदूरों के दुःख-दर्द को वाणी दे कर ,भारत माता और छत्तीसगढ़ महतारी की पीड़ा को स्वर देकर,
Read moreवो लकड़ियाँ कहाँ हैं? जिन्हे सकेला था बुखारी के लिए अब के ठंड में देती गरमाहट तुम्हारे सानिध्य सी बुखारी
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