पुस्तक समीक्षा

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ऐतिहासिक पर्वत पर एक गहन अध्ययन : पुस्तक चर्चा

रामगढ़ पर्वत सरगुजा जिले के तहसील और विकासखंड मुख्यालय उदयपुर के बहुत नज़दीक है। पुस्तक में दी गई जानकारी के अनुसार समुद्र तल से इस पर्वत की ऊँचाई 3206 फीट और स्थानीय धरातल से 1300 फीट है। उदयपुर के कुछ पहले जजगा नामक गाँव से यह पहाड़ किसी बैठे हुए हाथी की तरह दिखाई देता है।

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पन्नाई यादों का कल्पतरु भूटान : भूटान की आत्मा से संवाद करती एक अंतर्यात्रा

डॉ. शुभदा पांडेय की पुस्तक “पन्नाई: यादों का कल्पतरु भूटान” भूटान की प्रकृति, संस्कृति और जीवन-दर्शन का आत्मीय व सजीव चित्र प्रस्तुत करती है। यह यात्रा-वृत्तांत पर्यावरण, स्त्री-सशक्तिकरण और आध्यात्मिक संतुलन का संदेश देता है।

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सबकी ख़ुशहाली के लिए ‘मेरे दिल की बात’

स्वराज्य करुण के काव्य संग्रह ‘मेरे दिल की बात’ में प्रकृति, प्रेम और सामाजिक विसंगतियों पर आधारित कविताएं हैं, जो जनमानस की भावनाओं को गहराई से छूती हैं। यह संग्रह संवेदनशीलता, सरलता और समरसता का सुंदर संयोग प्रस्तुत करता है।

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शेष कथा: महाभारत के पात्रों के मनोविज्ञान और दर्शन का गहन विश्लेषण

‘शेष कथा’ कवयित्री जया गुप्ता द्वारा रचित एक प्रबंध काव्य है, जो महाभारत के पात्रों के भीतर चल रहे गहन अंतर्द्वंद्वों और दर्शन को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करता है। युधिष्ठिर, भीष्म और द्रौपदी जैसे पात्रों को उन्होंने जिस संवेदनशीलता और प्रमाणिकता से उकेरा है, वह इस रचना को एक अलग ही ऊँचाई पर ले जाता है। दर्शन और मनोविज्ञान के स्तर पर यह कृति समकालीन साहित्य में एक उल्लेखनीय योगदान है।

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बूँद-बूँद सागर : लाला जगदलपुरी की काव्य साधना का प्रतिबिंब

पुस्तक में आठ पृष्ठों में संपादक विनय श्रीवास्तव ने लाला जी की साहित्यिक यात्रा, उपलब्धियों और प्रकाशित कृतियों का गहन परिचय दिया है। वे केवल कवि नहीं, बल्कि एक सशक्त गद्य-शिल्पी, इतिहासकार और लोकसंस्कृति के सजग अध्येता भी थे।

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लोकभाषा से लोकमन तक लाला जगदलपुरी की बाल रचनाओं की जीवंतता

र्तमान पीढ़ी के बहुत कम लोगों को यह मालूम है कि अपनी 93 साल की जीवन यात्रा के लगभग सात दशक साहित्य साधना में लगा देने वाले साहित्य महर्षि लाला जगदलपुरी ने बड़ों के लिखने के साथ -साथ बच्चों के लिए भी ख़ूब लिखा।

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