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तीन साल बाद खुला कानन पेंडारी जू, पर्यटक फिर से देख सकेंगे भालुओं का दीदार

कानन पेंडारी जू में तीन साल बाद पर्यटक भालुओं को देख सकेंगे। अक्टूबर 2021 में आईसीएच वायरस के संक्रमण के कारण सभी भालुओं को क्वारंटाइन कर दिया गया था। अब नया केज और नाइट सेल्टर केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण के मापदंडों के अनुसार बनकर तैयार हो गया है।

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‘घुमक्कड़ जंक्शन’ स्मारिका का हुआ लोकार्पण

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अरण्य भवन में  प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास राव द्वारा ‘घुमक्कड़ जंक्शन’ पत्रिका के लोकार्पण हुआ। यह पत्रिका विशेष रूप से पर्यटन और यात्रा प्रेमियों के लिए समर्पित है, जिसका उद्देश्य स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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‘घुमक्कड़ जंक्शन’ स्मारिका का हुआ लोकार्पण

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के अरण्य भवन में  प्रधान मुख्य वनसंरक्षक श्रीनिवास राव द्वारा ‘घुमक्कड़ जंक्शन’ पत्रिका के लोकार्पण हुआ। यह पत्रिका विशेष रूप से पर्यटन और यात्रा प्रेमियों के लिए समर्पित है, जिसका उद्देश्य स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देना है।

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बिलासपुर और जगदलपुर स्वदेश दर्शन 2.0 में शामिल

छत्तीसगढ़ के धार्मिक और पर्यटन स्थल की भव्यता एवं उसके कायाकल्प के लिए पर्यटन मंत्रालय द्वारा इन जगहों का चयन किया जाना। प्रदेशवासियों के लिए खुशी का विषय है। जिसके लिए मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने प्रदेश के 3 करोड़ जनता की ओर से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं केंद्रीय पर्यटन मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत का सहृदय आभार व्यक्त किया है।

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रायपुर में हैरिटेज वॉक श्रृंखला की दूसरी वॉक में युवाओं का उत्साह

आज की यात्रा लिली चौक से शुरू होकर नागरीदास मंदिर, बावलीवाले हनुमान, जैतूसाव मठ, जगन्नाथ मंदिर होते हुए तुरी हटरी पर समाप्त हुई। इस वॉक का नेतृत्व अगोरा इको-टूरिज्म के अनुभवी डॉ. आलोक कुमार साहू ने किया। उनके व्यापक ज्ञान और आकर्षक शैली ने सभी प्रतिभागियों के लिए रायपुर के इतिहास को जीवंत कर दिया।

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विश्व सर्प दिवस एवं भागसूनाग की पौराणिक कथा

आज विश्व नाग दिवस, जब गोरखा रेजिमेंट की स्थापना हुई तो सैनिकों ने भागसू नाग को अपना कुल देवता स्थापित किया। भागसूनाग मंदिर से थोड़ा आगे वही डल झील है। छोटी किंतु पहाड़ की तराई में स्थित यह झील सुंदर भी है और मनमोहक भी। पहाड़ की तरफ देवदार के दो सौ फीट से ऊँचे वृक्षों की आदृश्य श्रृंखला और डल झील के सभी तरफ कांक्रीट से बना पक्का घाट और सड़क टहलने के लिए कॉरिडोर का काम करते हैं।

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