साहित्य

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‘छत्तीसगढ़ मित्र’ से राज्य में अंकुरित हुआ पत्रकारिता का पौधा आज विशाल वृक्ष

छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का इतिहास 125 वर्षों से अधिक पुराना है, जिसकी नींव वर्ष 1900 में पंडित माधवराव सप्रे द्वारा पेंड्रा से प्रकाशित ‘छत्तीसगढ़ मित्र’ ने रखी। यह वही बीज था, जो आज एक विशाल पत्रकारिता-वृक्ष के रूप में विकसित हो चुका है।

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देवताओं का प्रिय और प्रकृति की साधना मास मार्गशीर्ष

श्रीकृष्ण का वचन “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” केवल धार्मिक कथन नहीं, बल्कि एक पर्यावरणीय दर्शन है। जब हम इस भाव को जीवन में अपनाते हैं, तब हमारे भीतर करुणा, संतुलन और कृतज्ञता स्वतः जागृत होती है।

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जब बाबा ने मेरे कान उमेंठे

सन् 1968 में जांजगीर में आयोजित उस ऐतिहासिक काव्य गोष्ठी का संस्मरण, जब यायावर कवि बाबा नागार्जुन ने अपने सहज स्वभाव, स्पष्टवादिता और कालजयी कविताओं से सबको मंत्रमुग्ध कर दिया था।

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साहित्य-सृजन से भी साकार हुआ सबका सपना : छत्तीसगढ़ राज्य रजत जयंती 2025 पर विशेष 

छत्तीसगढ़ की साहित्यिक यात्रा में अनेक रचनाकारों ने हिंदी और छत्तीसगढ़ी साहित्य को नई पहचान दी है। यह आलेख राज्य के साहित्यिक विकास, सृजनशीलता और सांस्कृतिक चेतना का समग्र चित्र प्रस्तुत करता है।

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ऐतिहासिक पर्वत पर एक गहन अध्ययन : पुस्तक चर्चा

रामगढ़ पर्वत सरगुजा जिले के तहसील और विकासखंड मुख्यालय उदयपुर के बहुत नज़दीक है। पुस्तक में दी गई जानकारी के अनुसार समुद्र तल से इस पर्वत की ऊँचाई 3206 फीट और स्थानीय धरातल से 1300 फीट है। उदयपुर के कुछ पहले जजगा नामक गाँव से यह पहाड़ किसी बैठे हुए हाथी की तरह दिखाई देता है।

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लिमतरा: जहाँ चार पीढ़ियों ने निभाई भगवान श्रीराम की भूमिका, आज भी जीवंत है रामलीला की परंपरा

दुर्ग जिले के लिमतरा गाँव की रामलीला मंडली आज भी जीवित परंपरा का प्रतीक है। यहाँ चार पीढ़ियों के कलाकारों ने भगवान श्रीराम की भूमिका निभाई और सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाया।

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