समाज

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राजनीति से ओटीटी तक भाषा का गिरता स्तर

देश की दिशा तय करने का दंभ भरने वाले राजनेताओं द्वारा समूचे राष्ट्र के विभिन्न सदनों में प्रयोग होने वाली भाषा के स्तर से देश का हर नागरिक परिचित है।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वैश्विक प्रभाव

बांग्लादेश में तो हाल ही के समय में सत्ता पलट के पश्चात हिंदुओं सहित वहां के अल्पसंख्यक समुदायों पर कातिलाना हमले किए गए हैं। केवल बांग्लादेश ही क्यों बल्कि विश्व के किसी भी अन्य देश में हिंदुओं के साथ इस प्रकार की घटनाओं का कड़ा विरोध होना चाहिए।

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बढ़ते कदम

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने 100 वर्षों में हिंदू समाज को एकजुट करने और राष्ट्रीयता का भाव जागृत करने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। संघ की शाखाओं की संख्या 83,000 से अधिक हो चुकी है, और इसके कार्य 53 देशों में फैल गए हैं। संघ का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीयता को हर व्यक्ति तक पहुँचाना है।

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भारत में स्वास्थ्य जागरूकता का अतीत और वर्तमान

प्राचीनकाल में भारत के नागरिकों में स्वास्थ्य के प्रति चेतना का भाव जागृत रहता था। जागरूकता तो यहां तक थी कि किस प्रकार जीवन की दिनचर्या स्थापित हो कि परिवार में कोई बीमार ही नहीं हो, बीमारी का निदान तो आगे की प्रक्रिया रहती है। उस खंडकाल में प्रत्येक नागरिक इतना सजग रहता था कि प्रातःकाल एवं सायंकाल में 5/10 किलोमीटर तक नियमित रूप से पैदल चलना एवं योगक्रिया तथा प्राणायाम आदि का अभ्यास नियमित रूप से करता था

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गौरैया के लुप्त होने से जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव

गौरैया की घटती संख्या के पीछे कई मानवीय और पर्यावरणीय कारण हैं। आधुनिक जीवनशैली और तकनीकी विकास ने इसके प्राकृतिक वास को नष्ट कर दिया है। शहरों में बड़ी संख्या में बहुमंजिला इमारतों का निर्माण हुआ, जिससे गौरैया के घोंसले बनाने के लिए उपयुक्त स्थान कम होते गए। पहले मकानों की दीवारों में बनी दरारों और छप्परों के कोनों में यह आसानी से घोंसले बना लेती थी, लेकिन आधुनिक कंक्रीट के घरों में इसकी यह सुविधा समाप्त हो गई।

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हिन्दू हितों की उपेक्षा बनाम मुस्लिम तुष्टीकरण

कर्नाटक के मंदिरों से होने वाली इस आय वृद्धि पर यद्यपि सरकार ने कुछ नहीं कहा लेकिन कर्नाटक के अर्थशास्त्रियों के आकलन के अनुसार इस वर्ष कर्नाटक सरकार को मंदिरों से होने वाली आय में चार प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है। मंदिरों में होने वाली आय का मुख्य स्त्रोत श्रद्धालुओं का दान और चढ़ावा होता है।

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