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तलाश ढाई आखर की : सामाजिक सरोकार की कहानियां

बसंती पवार जी एक सजग और संवेदनशील लेखिका हैं, जो जीवन को शब्दों के वातायन से तलाशती हैं, उन्हीं में कुछ खोजे हुए प्रसंगों पर आधारित ये कहानियां आपसे संवाद करने को उत्सुक हैं।अपनी सरल भाषा शैली में मन की गुत्थियों को सुलझाने की प्रक्रिया हैं ये कहानियां।

सबसे पहले उन्हीं के शब्दों में -” इन कहानियों में जीवन की घटनाएं, समस्याएं, बदलाव,बिखराव को समेटने का प्रयास किया गया है।साथ ही आपसी संबंधों, रिश्तों, संस्कारों को भी महत्व दिया गया है।जीवन में रिश्तों की अहमियत उतनी ही है, जितनी सब्जी में नमक की और साथ ही रिश्तों से जुड़े हों ढाई आखर,तभी जीवन को जीवन कहा जा सकता है।”

कुल बाइस कहानियों में अलग-अलग परिस्थितियों को उकेरने का प्रयास किया है। पहली कहानी ‘ ढाई आखर ‘ में नायिका राधा आजीवन अपनी पारिवारिक जिम्मेदारियों के प्रति कटिबद्ध रही,पर कहीं न कहीं उसे भीतर से एक अपूर्ति की अनुभूति सदैव होती है, जिसे वह अपने लेखकीय जीवन में बांटना चाहती है,पर कहीं न कहीं छिपा ले जाती है।

‘ममतामयी मां ‘ में अपहृत बाल भिखारियों का बिलकुल सही चित्रण किया गया है, और इनके समाधानों की चर्चा भी की गई है।

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‘ ईर्ष्या ‘कहानी में एक बाल लेखिका की उहापोह के साथ उजागर किया है।

नई सुबह की कहानी का सार इस कथन से परिपुष्ट होता है।

“तुम शायद अपने अभिनय के शौक के बारे में सोच रही हो,तो मैं तुम्हें बता दूं कि शादी के बाद भी तुम जब तक चाहो,अपना शौक पूरा कर सकती हो,तुम्हारी खुशी में ही मेरी खुशी है। ”

‘वो दीपावली’ में पारिवारिक रिश्तों की हंसी-मजाक, पश्चाताप कहानी में अपने किए -अनकिए का मलाल है।इनकी कहानियों में मानव जीवन की सार्थकता को बार-बार दर्शाया गया है। कहीं रिटायर्ड पिता की वेदना, कहीं विधवा – व्यथा,एक तरफे प्यार की हैवानियत,आदि अनेक सामाजिक समस्याएं इन कथानकों में समाहित हैं।

कहानियां रोचक, यथार्थ, और जीवन- प्रदायिता है। बसंती जी को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।साथ ही सतत सृजनशील रहने की आकांक्षा।

 

पुस्तक का नाम —- तलाश ढाई आखर की
विधा —- कहानी संग्रह
लेखिका —-बसंती पवार
मूल्य —300/
प्रकाशक — साहित्य सागर प्रकाशन, जयपुर
वर्ष —-2023

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पुस्तक समीक्षा

शुभदा पाण्डेय