केजरीवाल की करारी हार, दिल्ली में भाजपा प्रचण्ड बहुमत की ओर
नई दिल्ली, 8 फरवरी 2025 – दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव में ऐतिहासिक जीत की ओर बढकर आम आदमी पार्टी (AAP) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को करारा झटका दिया। भाजपा 70 में से 48 सीटों पर आगे चल रही है, इससे सत्ता में वापसी का रास्ता तैयार हो गया है, जबकि आम आदमी पार्टी केवल 22 सीटों पर सिमट गई। गणना पूर्ण होने पर फ़ायनल रिजल्ट सामने आएगा। कांग्रेस एक बार फिर अपने खाते में कोई सीट नहीं जोड़ सकी।
भाजपा की जीत के प्रमुख कारण:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनकी नीतियों ने दिल्ली के मतदाताओं पर गहरा प्रभाव डाला। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान विकास और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडा को जोर-शोर से उठाया। अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोप, विशेष रूप से शराब नीति घोटाले और विभिन्न घोटालों से जनता का विश्वास कमजोर हुआ।
हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा: भाजपा ने दिल्ली में अपने पारंपरिक वोटबैंक को मजबूत करते हुए राष्ट्रवाद और हिंदुत्व को चुनावी मुद्दा बनाया, जिससे उसे भारी समर्थन मिला। दिल्ली के मतदाताओं में AAP की मुफ्त बिजली-पानी योजनाओं को लेकर संदेह बढ़ा, खासकर इन योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता को लेकर। भाजपा ने जमीनी स्तर पर बूथ मैनेजमेंट और माइक्रो कैम्पेनिंग में बेहतरीन रणनीति अपनाई, जिससे मतदाताओं को बड़े स्तर पर जोड़ने में सफलता मिली।
केजरीवाल की हार के कारण:
दिल्ली शराब नीति घोटाले में AAP नेताओं की संलिप्तता और गिरफ्तारी ने पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया। दिल्ली में भाजपा ने हिंदू मतदाताओं को बड़ी संख्या में अपने पक्ष में करने में सफलता पाई, जिससे AAP को नुकसान हुआ। 2015 और 2020 के चुनावों में AAP की ‘नई राजनीति’ को जनता ने सराहा था, लेकिन इस बार पार्टी की लोकप्रियता में गिरावट दिखी। कांग्रेस का कमजोर प्रदर्शन विपक्षी वोटों के बंटवारे को रोक नहीं पाया, जिससे भाजपा को सीधा फायदा हुआ।
भविष्य की राजनीति पर असर:
भाजपा की इस जीत से दिल्ली में उसकी जड़ें और मजबूत होंगी, जिससे आने वाले लोकसभा चुनावों में पार्टी को बड़ा फायदा मिल सकता है। अरविंद केजरीवाल के लिए यह हार एक बड़ा झटका है, और पार्टी के अस्तित्व पर सवाल उठने लगे हैं। कांग्रेस का लगातार तीसरी बार खाता न खोल पाना उसे दिल्ली की राजनीति से लगभग खत्म कर चुका है। भाजपा के इस अभूतपूर्व प्रदर्शन से दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ आ गया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि अरविंद केजरीवाल इस हार के बाद अपनी पार्टी को कैसे पुनर्जीवित कर पाते हैं।