बस्तर पंडुम 2026: 10 जनवरी से 5 फरवरी तक तीन चरणों में होगा भव्य आयोजन, 12 विधाओं में दिखेगी जनजातीय संस्कृति
रायपुर, 28 दिसंबर 2025/ बस्तर अंचल की समृद्ध लोकपरंपराओं, जनजातीय संस्कृति, कला और विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन के उद्देश्य से बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन गत वर्ष की तरह इस बार भी भव्य और आकर्षक रूप में किया जाएगा। इस संबंध में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में उच्चस्तरीय बैठक आयोजित हुई, जिसमें आयोजन की विस्तृत तैयारियों की समीक्षा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए।
बस्तर पंडुम 2026 का आयोजन 10 जनवरी से 5 फरवरी 2026 तक तीन चरणों में प्रस्तावित है।
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10 से 20 जनवरी: जनपद स्तरीय कार्यक्रम
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24 से 30 जनवरी: जिला स्तरीय कार्यक्रम
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1 से 5 फरवरी: संभाग स्तरीय कार्यक्रम
इस वर्ष बस्तर पंडुम में सांस्कृतिक विधाओं की संख्या 7 से बढ़ाकर 12 की जा रही है। इनमें बस्तर जनजातीय नृत्य, गीत, नाट्य, पारंपरिक वाद्ययंत्र, वेशभूषा एवं आभूषण, पूजा-पद्धति, शिल्प, चित्रकला, जनजातीय पेय पदार्थ, पारंपरिक व्यंजन, आंचलिक साहित्य और वन-औषधि शामिल हैं।
मुख्यमंत्री साय ने अधिकारियों से तैयारियों की विस्तृत जानकारी लेते हुए आयोजन को सुव्यवस्थित, गरिमामय और अधिक प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बस्तर पंडुम, बस्तर की असली आत्मा और उसकी जीवंत सांस्कृतिक विरासत को सामने लाने वाला सशक्त मंच है।
बैठक में बताया गया कि बस्तर पंडुम 2026 का लोगो, थीम गीत और आधिकारिक वेबसाइट का विमोचन माँ दंतेश्वरी मंदिर परिसर में मुख्यमंत्री द्वारा किया जाएगा। इस अवसर पर वरिष्ठ मांझी–चालकी, गायता–पुजारी, आदिवासी समाज के प्रमुखजन और पद्म सम्मान से अलंकृत कलाकार उपस्थित रहेंगे।
इसके साथ ही भारत के विभिन्न देशों में कार्यरत भारतीय राजदूतों को आमंत्रित करने पर भी चर्चा हुई, ताकि वे बस्तर की अनूठी सांस्कृतिक धरोहर, परंपराओं और जनजातीय जीवन से परिचित हो सकें। बस्तर संभाग के निवासी उच्च पदस्थ अधिकारी, यूपीएससी एवं सीजीपीएससी में चयनित अधिकारी, चिकित्सक, अभियंता, वरिष्ठ जनप्रतिनिधि और देश के विभिन्न राज्यों के जनजातीय नृत्य दलों को भी आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया।
प्रतिभागियों के पंजीयन की व्यवस्था इस बार ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से करने का प्रस्ताव है, जिससे अधिक से अधिक कलाकारों और सांस्कृतिक समूहों की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
उल्लेखनीय है कि बस्तर अंचल की कला, शिल्प, त्योहार, खान-पान, बोली-भाषा, आभूषण, पारंपरिक वाद्ययंत्र, नृत्य-गीत, नाट्य, आंचलिक साहित्य, वन-औषधि और देवगुड़ियों के संरक्षण व प्रचार-प्रसार के उद्देश्य से यह आयोजन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत बस्तर संभाग के सात जिलों की 1,885 ग्राम पंचायतों, 32 जनपद पंचायतों, 8 नगरपालिकाओं, 12 नगर पंचायतों और 1 नगर निगम क्षेत्र में तीन चरणों में कार्यक्रम आयोजित होंगे। आयोजन के लिए संस्कृति एवं राजभाषा विभाग को नोडल विभाग नामित किया गया है।
बैठक में उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा, पर्यटन मंत्री राजेश अग्रवाल, संस्कृति सचिव रोहित यादव, मुख्यमंत्री के सचिव राहुल भगत, संचालक विवेक आचार्य सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
