राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस : क्या इलाज की खर्चीली व्यवस्था कभी सस्ती होगी?

(ब्लॉगर एवं पत्रकार )
क्या आम जनता के लिए इलाज की दिनों-दिन बेहद खर्चीली होती जा रही व्यवस्था कभी सस्ती होगी? क्या दवाइयों और चिकित्सा-उपकरणों की बेतहाशा बढ़ती कीमतें कभी कम हो पाएँगी? इन पर अधिकतम विक्रय मूल्य (एम.आर.पी.) तो अंकित रहता है, लेकिन उत्पादन लागत क्यों प्रिंट नहीं की जाती?
क्या देश के तमाम डॉक्टर आज इन सवालों पर विचार करके जनता को इनका जवाब देना चाहेंगे? उनसे ये सवाल आज इसलिए, क्योंकि आज एक जुलाई को उन्हीं का राष्ट्रीय दिवस है, जो पश्चिम बंगाल के द्वितीय मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ. बिधान चन्द्र राय की याद में मनाया जाता है। आज उनकी जयंती भी है और पुण्यतिथि भी।
भारत रत्न अलंकरण से सम्मानित डॉ. राय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे। विधि का विधान देखिए कि जिस दिन उनका जन्म हुआ, उनका निधन भी लगभग 80 वर्ष की उम्र में उसी तारीख को हुआ। आज उनके जन्म दिवस पर उन्हें विनम्र नमन। उनका जन्म एक जुलाई 1882 को और निधन एक जुलाई 1962 को हुआ था। वह 1948 से 1962 तक, मृत्यु पर्यंत लगभग 14 साल, पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रहे और इस दौरान अपनी व्यस्त दिनचर्या से समय निकाल कर मरीजों का इलाज भी करते रहे। उनका विस्तृत जीवन परिचय विकिपीडिया में भी उपलब्ध है।
आज एक सवाल यह भी है कि राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस क्या सिर्फ एलोपैथिक चिकित्सकों का दिवस है? इसमें आयुर्वेदिक, होम्योपैथी, यूनानी, प्राकृतिक चिकित्सा और योग जैसी पद्धतियों के डॉक्टरों की भागीदारी क्यों नज़र नहीं आती? क्या इसलिए कि आयुर्वेद वाले धनतेरस के दिन अपनी विधा के जनक कहे जाने वाले महर्षि धन्वन्तरि का अवतरण दिवस मनाते हैं, होम्योपैथी वाले हर साल 10 अप्रैल को अपनी पद्धति के आविष्कारक डॉ. हैनिमैन की जयंती मनाते हैं?
अपनी जगह यह बिल्कुल ठीक है, अपनी-अपनी चिकित्सा पद्धति के आविष्कारकों की जयंती जरूर मनाएं, लेकिन उनमें दूसरी विधाओं के डॉक्टरों को भी शामिल करें, ताकि एक-दूसरे की पद्धतियों पर ज्ञान का आदान-प्रदान हो। पद्धति चाहे कोई भी हो, आखिर हैं तो सभी डॉक्टर, जिन्होंने सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रमों को पढ़कर डिग्रियाँ हासिल की हैं और डॉक्टर के रूप में पंजीयन करवाया है। क्या ही अच्छा हो कि आज के दिन एलोपैथिक डॉक्टर अपने कार्यक्रमों में इन पद्धतियों के डॉक्टरों को भी जोड़ें!
बहरहाल, एलोपैथी सहित सभी चिकित्सा विधाओं के डॉक्टरों को आज राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस की आत्मीय बधाई। उन्हें शुभकामनाएं देते हुए आशा है कि वे हर बीमारी के मरीजों को आज और भविष्य में भी सस्ती और अच्छी सेवाएँ देने का संकल्प लेंगे। देश में घरेलू अथवा फैमिली डॉक्टरों की परम्परा विलुप्त हो गई है। क्या आज डॉक्टर्स डे के मौके पर चिकित्सकगण इस मुद्दे पर भी कुछ विचार करेंगे?
मानव जीवन अनमोल होता है और उसे बचाए रखने में डॉक्टरों के योगदान को भला कौन नहीं जानता? वैसे तो देश और दुनिया के लिए बारहों महीने और चौबीसों घंटे डॉक्टरों का ही दिन होता है, क्योंकि इंसान कहीं पर भी और कभी भी बीमार पड़ सकता है। किसी आकस्मिक हादसे में घायल हो सकता है। तब उसे डॉक्टर की जरूरत पड़ती है। मनुष्य और समाज के लिए डॉक्टरों की इस भूमिका को याद करने दुनिया के विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों में डॉक्टर्स डे यानी चिकित्सक दिवस मनाने की परंपरा है।
हमारे देश में डॉक्टर्स डे अथवा चिकित्सक दिवस सभी विधाओं के डॉक्टरों को एक साथ मनाना चाहिए, लेकिन आम तौर पर यह दिवस सिर्फ एलोपैथिक डॉक्टरों द्वारा मनाया जाता है। चाहे एलोपैथी हो या आयुर्वेद, होम्योपैथी हो या यूनानी, अथवा नेचुरोपैथी, या फिर कोई पारंपरिक चिकित्सा पद्धति, इलाज की हर विधा का अपना महत्व है।
बहरहाल, आज चिकित्सक दिवस पर इन सभी विधाओं के डॉक्टरों का हार्दिक अभिनंदन। उन्हें बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं।