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शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से प्रधानमंत्री मोदी से ऐतिहासिक संवाद

नई दिल्ली, 28 जून 2025/ भारत के लिए 28 जून 2025 का दिन अंतरिक्ष अनुसंधान और राष्ट्रीय गर्व की दृष्टि से ऐतिहासिक बन गया। इसी दिन ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, भारत के वायुसेना अधिकारी और मिशन अक्सियम-4 के अंतरिक्ष यात्री, ने अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संवाद किया। यह अवसर केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं, बल्कि भारत की अंतरिक्ष शक्ति और वैश्विक आत्मविश्वास का प्रतीक भी बना।

शुभांशु शुक्ला ने भारत के इतिहास में नया अध्याय जोड़ते हुए अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय नागरिक बनने का गौरव प्राप्त किया है। वे 1984 में राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष की यात्रा पर गए दूसरे भारतीय हैं, जिन्होंने भारत को फिर से अंतरिक्ष मानचित्र पर गौरवपूर्ण स्थान दिलाया है।

प्रधानमंत्री मोदी का संवाद देश के हर नागरिक की भावना का प्रतिनिधित्व

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुभांशु से संवाद की शुरुआत अत्यंत भावनात्मक और प्रेरक शब्दों में की। उन्होंने कहा,

“आज आप भले ही हमारी धरती से बहुत दूर हैं, लेकिन 140 करोड़ भारतीयों के दिलों के सबसे करीब हैं। आपके नाम में ‘शुभ’ है और आपकी यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष युग के लिए एक शुभारंभ है।”

प्रधानमंत्री ने इस संवाद को देशवासियों की सामूहिक आकांक्षा बताया। उन्होंने मज़ाकिया लहजे में कहा कि भले ही शुभांशु इस समय शून्य गुरुत्वाकर्षण में हैं, लेकिन उनका भारतीयता से जुड़ाव और ज़मीन से संपर्क स्पष्ट दिखता है।

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मोदी ने शुभांशु से अंतरिक्ष में उनके अनुभवों, शारीरिक अनुकूलन, भोजन और नींद की चुनौतियों, और विज्ञान प्रयोगों के बारे में जानने की जिज्ञासा दिखाई। उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में गाजर का हलवा साझा करने की बात भी कही, जिससे संवाद मानवीय और आत्मीय बना रहा।

शुभांशु की आवाज़ में आत्मविश्वास और देश के प्रति समर्पण

अपने संवाद में शुभांशु शुक्ला ने प्रधानमंत्री और देशवासियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा,

“यह केवल मेरी व्यक्तिगत यात्रा नहीं, यह भारत की यात्रा है, एक ऐसे भारत की जो अब अंतरिक्ष में भी आत्मनिर्भर और सशक्त है।”

उन्होंने बताया कि वह 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर, लगभग 28,000 किमी/घंटा की गति से पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं और प्रतिदिन 16 सूर्योदय और 16 सूर्यास्त देख रहे हैं।

“यह दृश्य बहुत अद्भुत है, परंतु उससे भी अधिक सुंदर यह एहसास है कि अंतरिक्ष से पृथ्वी एकजुट दिखाई देती है — कोई सीमा नहीं, कोई विभाजन नहीं। भारत नक्शे से भी अधिक भव्य दिखता है।”

शुभांशु ने बताया कि माइक्रोग्रेविटी में अनुकूलन कठिन होता है — विशेष रूप से नींद और शरीर की गतिशीलता। उन्होंने कहा कि ऐसे वातावरण में माइंडफुलनेस और ध्यान बहुत सहायक सिद्ध हो रहे हैं।

“दौड़ते हुए खाना नहीं खा सकते”, यह वाक्य उन्होंने हँसी के साथ कहा, जो उनकी सहजता और वैज्ञानिक समझ दोनों को दर्शाता है।

अक्सियम-4 मिशन की विशेषताएं: भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा की उड़ान

शुभांशु अक्सियम-4 मिशन के अंतर्गत 26 जून 2025 को नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किए गए थे। 28 घंटे की यात्रा के बाद वह आईएसएस से सफलतापूर्वक जुड़े। इस मिशन में शुभांशु सहित चार अंतरिक्ष यात्री शामिल हैं।

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अगले 14 दिनों तक शुभांशु आईएसएस पर भारत द्वारा डिज़ाइन किए गए सात प्रमुख प्रयोग संचालित करेंगे, जिनमें शामिल हैं:

  • मांसपेशियों के क्षय पर स्टेम सेल आधारित अनुसंधान

  • माइक्रोएल्गे द्वारा खाद्य सुरक्षा के समाधान

  • न्यूरोफिजियोलॉजी और हड्डी की घनता पर प्रभाव का अध्ययन

  • वातावरण में बैक्टीरिया की सक्रियता पर प्रभाव

इन प्रयोगों के निष्कर्ष भविष्य के दीर्घकालिक अंतरिक्ष अभियानों और पृथ्वी पर चिकित्सा विज्ञान के लिए उपयोगी सिद्ध होंगे।

शुभांशु को एक्सपेडिशन 73 के वरिष्ठ अंतरिक्ष यात्रियों ने आईएसएस में परंपरागत ‘स्पेस पिन’ प्रदान कर उनका स्वागत किया।

युवाओं के लिए संदेश हार न मानें, रास्ते अनेक हैं

अपने अनुभव साझा करते हुए शुभांशु ने भारत के युवाओं के लिए प्रेरक संदेश दिया। उन्होंने कहा:

“सपने को पाने का एक ही तरीका नहीं होता। हर व्यक्ति की राह अलग हो सकती है, पर दृढ़ता, ईमानदारी और न झुकने का साहस ही सफलता का रास्ता बनाते हैं।
आसमान कभी सीमा नहीं है — न मेरे लिए, न आपके लिए, न भारत के लिए।”

उन्होंने भारत की ‘गगनयान’ मानव मिशन, स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा मिशन के लिए अपने अनुभवों को योगदान स्वरूप देने की बात कही।

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प्रधानमंत्री का “होमवर्क” और भविष्य की योजनाएं

बातचीत के अंत में प्रधानमंत्री मोदी ने शुभांशु को एक भावनात्मक “होमवर्क” सौंपा —

“अब आपको गगनयान मिशन को आगे बढ़ाना है, भारत का अंतरिक्ष स्टेशन बनाना है, और चंद्रमा पर भी भारत का परचम फहराना है।”

मोदी ने शुभांशु के परिवार से अपनी मुलाकात का स्मरण करते हुए कहा,

“पूरा देश आपकी सुरक्षित वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहा है।”

प्रधानमंत्री ने इस उपलब्धि को भारत के अंतरिक्ष अभियान की नई ऊंचाइयों की ओर बढ़ती उड़ान कहा और शुभांशु की सफलता को देश के आत्मनिर्भर और वैज्ञानिक भारत के विजन से जोड़ते हुए चंद्रयान, गगनयान, और भविष्य के ग्रह मिशनों को साकार करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

यह संवाद केवल दो लोगों के बीच तकनीकी संपर्क नहीं था, यह एक राष्ट्र की वैज्ञानिक चेतना, नैतिक आत्मबल, और भावनात्मक एकता का प्रतिबिंब था। शुभांशु की यह यात्रा एक प्रेरक अध्याय बन चुकी है — आज के लिए भी, और आने वाले भविष्य के लिए भी।

भारत अब केवल धरती तक सीमित नहीं, बल्कि अंतरिक्ष में भी अपना झंडा फहराने को तैयार है — गर्व के साथ, विज्ञान के साथ, और पूरे देश की आकांक्षाओं के साथ।