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रायपुर में भव्य रथ यात्रा महोत्सव, राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने निभाई ‘छेरापहरा’ की परंपरा

राजधानी रायपुर के गायत्री नगर स्थित जगन्नाथ मंदिर में आज पारंपरिक उल्लास और श्रद्धा के साथ महाप्रभु श्री जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली गई। इस अवसर पर राज्यपाल रमेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी विशेष रूप से उपस्थित रहे।

मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और ओडिशा की परंपरा के अनुरूप ‘छेरापहरा’ की रस्म निभाई। मुख्यमंत्री श्री साय ने स्वर्ण झाड़ू से मार्ग बुहारकर रथ यात्रा की शुरुआत की और स्वयं भगवान जगन्नाथ की प्रतिमा को रथ पर विराजमान किया।

इस अवसर पर राज्य की प्रथम महिला रानी डेका काकोटी ने भी भगवान की विधिवत पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त किया। पूरा आयोजन ओडिशा की रथ यात्रा परंपरा की तरह विशेष श्रद्धा और व्यवस्था के साथ संपन्न हुआ।

मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों को रथ यात्रा की शुभकामनाएं देते हुए कहा, “यह पर्व ओडिशा जितना ही छत्तीसगढ़ के लिए भी महान और भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ है। भगवान जगन्नाथ किसानों के संरक्षक हैं, उनकी कृपा से अच्छी वर्षा होती है, खेत लहलहाते हैं और समृद्धि आती है।”

उन्होंने प्रार्थना की कि इस वर्ष भी छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश हो और प्रदेश के किसान खुशहाल रहें। श्री साय ने भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा से सभी प्रदेशवासियों के लिए शांति और समृद्धि की कामना की।

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उत्कल और कोसल की संस्कृति का संगम

रथ यात्रा में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं और मंदिर के पुजारियों ने बताया कि यह उत्सव केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक एकता का प्रतीक भी है। उत्कल (ओडिशा) और दक्षिण कोसल (छत्तीसगढ़) की संस्कृति में गहरी समानताएं हैं और रथ यात्रा इसी साझी विरासत का जीवंत उदाहरण है।

ऐसी भी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ का मूल स्थान छत्तीसगढ़ का शिवरीनारायण तीर्थ है, जहां से वे बाद में पुरी में प्रतिष्ठित हुए। यही वह स्थान है जहां त्रेता युग में प्रभु श्रीराम ने माता शबरी के प्रेमपूर्वक अर्पित मीठे बेर ग्रहण किए थे।

वर्तमान में शिवरीनारायण में नर-नारायण का भव्य मंदिर स्थित है, जो क्षेत्र की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है।

रथ यात्रा महोत्सव में भारी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और पूरे आयोजन में भक्ति, भव्यता और अनुशासन का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। रायपुर की इस रथ यात्रा ने यह एक बार फिर सिद्ध किया कि छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ के प्रति श्रद्धा किसी भी अन्य राज्य से कम नहीं है।

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