ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिका का हमला, पश्चिम एशिया में तनाव चरम पर
दिल्ली 22 जून 2025। ईरान और इज़राइल के बीच जारी तनाव अब खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। इसी क्रम में रविवार तड़के अमेरिका ने ईरान के फोरडो, नतांज और इस्फहान तीन परमाणु ठिकानों पर सैन्य हमले किए। यह कार्रवाई उस श्रृंखला की अगली कड़ी है, जिसमें इज़राइल पहले ही एक सप्ताह तक ईरानी सैन्य ढांचों पर हमले कर चुका था।
अमेरिका द्वारा किए गए इन हमलों का उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निर्णायक रूप से कमजोर करना बताया जा रहा है, जो दशकों से वैश्विक विवाद का कारण बना हुआ है।
हमले की रणनीति और हथियारों का उपयोग
हमले में अमेरिका ने अत्याधुनिक B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स और पनडुब्बियों से दागी गई टॉमहॉक मिसाइलों का इस्तेमाल किया।
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फोरडो पर छह बंकर-बस्टर बम दागे गए
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नतांज और इस्फहान पर कुल 30 टॉमहॉक मिसाइलें छोड़ी गईं
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विशेष रूप से GBU-57 मासिव ऑर्डनेंस पेनेट्रेटर बम का उपयोग पहली बार किसी युद्ध में किया गया
यह बम गहराई में स्थित और मजबूत संरचनाओं को भेदने की क्षमता रखता है, जिससे यह हमले की प्रभावशीलता को दर्शाता है।
ट्रम्प का दावा – “पूरी तरह सफल अभियान”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने Truth Social पर हमले की पुष्टि करते हुए कहा,
“हमने ईरान के तीन परमाणु स्थलों पर बहुत सफल हमला किया। सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं। फोरडो पर पूर्ण बम लोड गिराया गया।”
हालांकि, इन दावों की स्वतंत्र पुष्टि अब तक नहीं हुई है।
ईरान का तीखा विरोध और जवाबी चेतावनी
ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने हमलों को “अत्याचारी और अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन” बताया है।
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने कहा है कि उसका नाभिकीय कार्यक्रम रुकेगा नहीं और साइटों से कोई रेडियोधर्मी रिसाव नहीं हुआ है। साथ ही, ईरान ने अमेरिका और इज़राइल दोनों को जवाबी कार्रवाई की खुली चेतावनी दी है।
संयुक्त राष्ट्र और वैश्विक प्रतिक्रिया
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने घटनाक्रम पर गंभीर चिंता जताई है और आगाह किया है कि यह संघर्ष पूरे मध्य पूर्व को जला सकता है। वहीं, अमेरिका ने यह स्पष्ट किया है कि वह जमीन पर सैनिक नहीं भेजेगा, लेकिन यदि जवाबी हमला हुआ तो और कार्रवाई की जाएगी।
भू-राजनीतिक प्रभाव और जोखिम
यह हमला वैश्विक कूटनीति, विशेष रूप से ईरान के नाभिकीय कार्यक्रम पर चल रही वार्ताओं को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही, राष्ट्रपति ट्रम्प की घरेलू राजनीतिक स्थिति पर भी असर पड़ने की आशंका है, क्योंकि उन्होंने चुनाव प्रचार में अमेरिका को विदेशी संघर्षों से दूर रखने का वादा किया था।
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