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आईपीएल ट्रॉफी पर ऐतिहासिक जीत के बाद आरसीबी की विक्ट्री परेड मातम में बदली, भगदड़ में 7 की मौत, 50 घायल

बेंगलुरू, 4 जून 2025 — आईपीएल 2025 के फाइनल मुकाबले में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू ने पंजाब किंग्स को हराकर पहली बार चैंपियन बनने का गौरव प्राप्त किया। यह जीत न केवल बेंगलुरू बल्कि पूरे देश के आरसीबी समर्थकों के लिए उत्सव का कारण बनी। इसी खुशी में सोमवार को एम चिन्नास्वामी स्टेडियम में भव्य विजय समारोह और विक्ट्री परेड का आयोजन किया गया था, जिसमें हजारों की संख्या में प्रशंसक जुटे थे।

लेकिन जश्न की यह घड़ी अचानक मातम में तब्दील हो गई जब भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई। इस दुर्भाग्यपूर्ण हादसे में एक महिला समेत सात लोगों की मौत हो गई जबकि पचास से अधिक लोग घायल हो गए, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है।

बताया जा रहा है कि स्टेडियम के भीतर और बाहर अनुमान से कहीं अधिक भीड़ जमा हो गई थी। जैसे ही आरसीबी की टीम खुले बस में परेड के लिए मैदान पर पहुंची, प्रशंसकों में टीम को करीब से देखने की होड़ मच गई। सुरक्षाकर्मी और प्रशासनिक अमला इस अप्रत्याशित भीड़ को संभाल नहीं सका, नतीजतन अफरा-तफरी और धक्का-मुक्की शुरू हो गई।

बैरिकेड्स टूट गए और कई लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े जिससे भगदड़ की स्थिति बन गई। घायलों को तुरंत विक्टोरिया और बॉरिंग अस्पतालों में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सकों ने सात लोगों को मृत घोषित कर दिया।

घटना के बाद राज्य सरकार ने मृतकों के परिजनों को दस लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की है, साथ ही घायलों का इलाज सरकार के खर्च पर किया जाएगा। प्रशासन ने इस हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं और जांच समिति गठित कर दी गई है जो यह पता लगाएगी कि भीड़ नियंत्रण में कहां और कैसे चूक हुई।

आरसीबी फ्रेंचाइजी ने इस हादसे पर गहरा शोक जताते हुए कहा है कि यह हमारे लिए बेहद गौरव का क्षण था लेकिन जो हुआ उसने हम सभी का दिल तोड़ दिया है। हम पीड़ित परिवारों के साथ खड़े हैं और हरसंभव मदद करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। उधर विपक्षी दलों ने सरकार पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा है कि एक ऐतिहासिक खेल जीत को जिम्मेदार प्रबंधन और सुरक्षा के साथ मनाया जाना चाहिए था, न कि जानलेवा अराजकता में बदलने दिया जाना चाहिए था।

आरसीबी की पहली आईपीएल ट्रॉफी जीत का सपना वर्षों से लाखों प्रशंसकों की आंखों में पल रहा था, लेकिन जिस उत्सव को यादगार बनना था वह एक भयानक त्रासदी के रूप में याद किया जाएगा। यह घटना न केवल प्रशासनों को बल्कि पूरे देश को यह सोचने पर मजबूर कर रही है कि जनसामूहिक आयोजनों में सुरक्षा और तैयारी के मानक कितने अपर्याप्त हैं और इन्हें दुरुस्त करने की कितनी सख्त जरूरत है।

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