भारतीय सेना के पराक्रम से घुटनों पर पाकिस्तान

पहलगाम आतंकवादी घटना के बाद पाकिस्तान से बदला लेने के लिए पूरे देश में आक्रोश भर गया और सरकार पर बदला लेने के लिए दबाव बन रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट कह दिया था कि जवाब दिया जाएगा और भीतर घुसकर मारा जाएगा। सेना को खुला हाथ दे दिया गया और सेना अपनी तैयारी में लग गई। मेरे पिता सेना में थे और कहा करते थे कि “अगर चूहे का शिकार करना हो तो शेर के शिकार का सामान साथ होना चाहिए, मतलब पूरी तैयारी होनी चाहिए, जिससे जीत निश्चित हो।” सेना इसी तरह अपनी तैयारी करती है।
अगर अपनी तरफ से पहल करना हो तो सेना भी इसी तरह तैयारी करती है। उसे अपने उद्धेश्य तय करने होते हैं, सामरिक आयुधों की तैयारी के साथ कूटनीतिक तैयारी भी करनी पड़ती है तथा युद्ध जीतने के लिए रणनीति बनाना पहला काम होता है। दुश्मन की तरफ से हमला हो तो आनन-फानन में जवाब देना होता ही है, अगर पहल स्वयं करनी हो तो पूरी शक्ति का संचय करना होता है, तभी युद्ध में जाया जा सकता है।
इसी बीच सोशल मीडिया पर और अन्य संचार माध्यमों पर वामपंथी, सपाई और कांग्रेसी फ़ीता लेकर प्रधानमंत्री मोदी का सीना नापने के लिए बैठे हुए थे कि अभी तक पाकिस्तान को जवाब नहीं दिया जा रहा है, मोदी डर गया है। इस तरह का नैरेटिव बनाने का प्रयास शुरू हो गया।
पाकिस्तान को जवाब देने के लिए भी जनभावनाएं उत्कर्ष पर थीं और वह चाह रही थीं कि भारत अब इस तरह जवाब दे कि रोज-रोज का लफड़ा खत्म हो जाए। 1971 के युद्ध के बाद भारत में दो नई पीढ़ियां आ गईं, जिन्होंने युद्ध की आंच देखी ही नहीं है। उन्हें पता नहीं कि युद्ध क्या होता है और युद्ध की आंच आम आदमी को किस तरह झेलनी पड़ती है, जिससे उसके भी झुलसने की आशंका रहती है।
इससे पूर्ववर्ती सरकारों में कई खतरनाक आतंकवादी हमले हुए, लेकिन पाकिस्तान को कोई जवाब नहीं दिया गया। यहां तक कि पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री को ‘देहाती औरत’ तक कह दिया था। तब भी पाकिस्तान को जवाब देने के लिए इनकी गैरत नहीं जगी। यह मोदी की ही मजबूत सरकार है, जिससे लोगों को आशा थी कि देर-सबेर पाकिस्तान को माकूल जवाब दिया ही जाएगा, और दिया भी गया।
मुझे पूरा विश्वास था कि भारतीय सेना सारी शक्ति का संचय करके पाकिस्तान को जवाब देगी ही। सात मई को भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ लॉन्च कर जवाब देना शुरू कर दिया और नौ आतंकी ठिकानों को ध्वस्त कर पाकिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया। रात भर कार्रवाई चलती रही। भारत जागता रहा। समाचार चैनलों को भी इतना जोश आ गया था कि वे बिना ब्रेक चलते रहे, जैसे वे युद्ध के मैदान में बैठे हों। जनमानस में इतना जोश भर दिया गया कि वे अब पीओके लेने की आशा लगाकर बैठे थे। कहते हैं न, जो कुछ करता है, लोग उससे ही आशा लगाते हैं। निकम्मों से कौन आशा लगाता है?
सुबह तक पूरे भारत का यही मूड था कि अब पीओके तक सेना पहुंच जाए और उस पर कब्जे का शुभ समाचार मिले। मैं भी चैनलों के घमासान में आशा लगाकर बैठा था कि यह होकर रहेगा। अगली रात को भारतीय सेना ने पाकिस्तान की परमाणु धमकियों की परवाह न करते हुए उसके सैनिक ठिकानों को ढहा दिया। पाकिस्तान की हालत गंभीर हो गई थी। उसका रक्षा तंत्र ध्वस्त हो गया था और अब वह शतुरमुर्ग की तरह रेत में गर्दन गड़ाकर मार खाए जा रहा था। इतनी बुरी हालत पाकिस्तान की कभी न हुई थी।
भारतीय सेना का आक्रमण इतना प्रोफेशनल और तकनीकि सम्पन्न था कि पूरा विश्व दांतों तले उंगली दबा कर देख रहा था तथा पिन-पॉइंट सटीक बमबारी देख कर दंग रह गया था। पाकिस्तान अपनी तरफ से हमला करके जवाब दे रहा था, लेकिन भारत की सुरक्षा पंक्ति को भेद पाना उसके लिए संभव नहीं हो रहा था। जिसे आज “5th Generation” की युद्ध शैली कहा जाता है, भारतीय सेना उसी का उपयोग कर रही थी। भारत की जल, थल और वायु सेना पाकिस्तान के घुटने तोड़ने के लिए अपने उत्कृष्ट पराक्रम एवं शौर्य का प्रदर्शन कर रही थी। पाकिस्तान में हाहाकार मच गया।
भारत के शक्ति प्रदर्शन और एफ-15 विमानों के धराशायी होने से घबराकर चौधरी बनते हुए ट्रम्प ने ट्वीट करके सीजफायर की घोषणा कर दी। इसके पीछे उसकी चाल थी और लोग इस चाल के जाल में फंस गए। जबकि सीजफायर के लिए पाकिस्तानी डीजीएमओ ही फोन करके गिड़गिड़ाया था।
मोदी जी की अगुवाई में सेना द्वारा पाकिस्तान पर आक्रमण से कांग्रेसी और वामपंथी पहले तो सन्निपात से ग्रस्त थे कि ये तो पाकिस्तान को भरपूर जवाब देना शुरू कर दिया, अब क्या किया जाए? उसकी लोकप्रियता तो और बढ़ जाएगी। फिर उन्हें ट्रम्प के सीजफायर के ट्वीट से होश आया और वे सरकार के खिलाफ खड़े हो गए। सोशल मीडिया पर मोदी पर जातिगत शब्दों से हमला शुरू हो गया, क्योंकि लोग सोचने-समझने की शक्ति खोकर त्वरित प्रतिक्रिया देना चाहते हैं।
भारत सरकार द्वारा स्थिति स्पष्ट की गई और ट्रम्प का कहीं पर कोई नाम नहीं था। दो दिन बाद ट्रम्प ने खुद स्वीकार किया कि दोनों पक्षों की सीधी बातचीत से ही सीजफायर पर सहमति हुई। सच्चाई सबके सामने आ चुकी थी। फिर पाकिस्तान द्वारा भी अपनी तबाही का खुलासा कर दिया गया।
प्रधानमंत्री ने स्पष्ट कहा है कि सीजफायर भारत की शर्तों पर ही हुआ है तथा किसी भी आतंकी हमले को युद्ध माना जाएगा, जिसके लिए हमारी सेना तैयार है। सिंधु जल समझौता स्थगित रहेगा।
मैं मानता हूँ कि दुश्मन को मटियामेट करके सीजफायर करना भारत के लिए सही निर्णय था। अपने आक्रमण को कभी भारत ने युद्ध नहीं कहा, इसे आतंकी हमले के खिलाफ जवाबी कार्रवाई कहा गया था। क्योंकि युद्ध शुरू करना आसान है और उसे खत्म करना बहुत कठिन। रूस सात वर्षों तक अफगानिस्तान में फंसा रहा और उसे वहाँ से निकलने में बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। विश्व की बड़ी शक्ति अमेरिका 20 वर्षों तक अफगानिस्तान में फंसा रहा और अपने सभी हथियारों को छोड़कर भागना पड़ा।
पिछले तीन वर्षों से रूस यूक्रेन के युद्ध में फंसा हुआ है और आज उसे वहाँ से निकलना भारी पड़ रहा है। जब युद्ध शुरू हुआ था तो लोग सोच रहे थे कि रूस पंद्रह दिन में यूक्रेन का मटियामेट कर बाहर निकल लेगा, लेकिन अब दोनों अपने जन, धन और सेना का सत्यानाश करके युद्धविराम के लिए बैठक कर रहे हैं। इसराइल, छोटी सी गाजा पट्टी में दो वर्षों से फंसा हुआ है। इसलिए मैं मानता हूँ कि पाकिस्तान को सबक सिखाकर सीजफायर करना देश के लिए उपयुक्त कदम है।
पिछले सर्जिकल स्ट्राइक के समय अभिनंदन का विमान जब सरहद के उस पार गिर गया था, तो उसे वापस लाने के लिए जनभावनाओं का प्रबल प्रदर्शन दिखाई दे रहा था। यह सिर्फ एक सैनिक की बात है। युद्ध विनाशक होता है, जब पूर्ण युद्ध की स्थिति होती है तो जन, धन की हानि दोनों तरफ होती है तथा जब सैनिकों के शव आने शुरू होते हैं गांवों में, तो हाथ-पांव फूल जाते हैं। भारत की जनता बहुत भावुक है, तब यही लोग युद्धविराम का नैरेटिव लेकर नाचने लगते हैं।
आज भारत की सेना ने पाकिस्तान को माकूल सबक सिखाकर अपने शौर्य एवं पराक्रम की झलक विश्व को दिखाई है, पाकिस्तान के आतंकवादियों की कमर को तोड़ा गया तथा आज ये स्थिति है कि बचे खुचे आतंकवादी सिर छुपाने की जगह ढूंढ रहे हैं, उन्हें आतंकवादी घटना करने में अब सौ बार सोचना पड़ेगा। इसके साथ ही भारत निर्मित हथियारों का परीक्षण भी सही समय पर हो गया। भारत के इस शौर्य से चीनी हथियारों की कलई खुल गई तथा हम अब चीन को भी जवाब देने की स्थिति में हैं।
सेना का आत्मबल सर्वोच्च ऊंचाई पर है। भारत ने यह शक्ति आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही प्राप्त की है भले ही विपक्षी भारत को हारा बताने के लिए छल-बल का प्रयोग कर रहे हैं। लेकिन इस पराक्रम से भारत का गौरव विश्व में बढ़ा है और भारत की सेना का मनोबल बढ़ा है। जय हिन्द, जय हिन्द की सेना।