futuredहमारे नायक

जिन्होंने सबसे पहले देखा था नये ओड़िशा राज्य का सपना, आज 28 अप्रैल को उनकी जयंती

छत्तीसगढ़ , झारखण्ड ,आंध्रप्रदेश और बंगाल की सरहदों से लगा हुआ है ओड़िशा राज्य. मधुसूदन दास एक ऐसी विभूति थे, जिन्होंने सबसे पहले इस नये ओड़िशा राज्य का सपना देखा था. आज उनकी जयंती है। उन्हें विनम्र नमन ।
सबसे पहले उन्होंने वर्ष 1903 में ओड़िशा राज्य की परिकल्पना की थी। देखते ही देखते 122 साल हो गए। वह बैरिस्टर (वकील ) होने के साथ -साथ विद्वान लेखक , चिन्तक और ओड़िया भाषा के लोकप्रिय साहित्यकार भी थे । उनका जन्मदिन ओड़िशा में ‘वकील दिवस ‘ के रूप में भी मनाया जाता है ।
उत्कलवासी आज 28 अप्रैल को उनकी जयंती पर उन्हें ज़रूर याद कर रहे होंगे । ओड़िशा के समाचार पत्रों , ओड़िशा के टीव्ही चैनलों और सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्मों में लोग अलग -अलग तरीके से लोग उनके व्यक्ति और कृतित्व की चर्चा कर रहे होंगे। उत्कलवासियों ने उन्हें ‘उत्कल गौरव ‘का लोकप्रिय और आत्मीय सम्बोधन दिया । वह आज भी इसी सम्बोधन से याद किये जाते हैं । भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाकटिकट भी जारी किया था ।
स्वर्गीय मधुसूदन दास का जन्म 177 साल पहले 28 अप्रेल 1848 को तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासित बंगाल प्रेसीडेंसी के अंतर्गत उत्कल क्षेत्र के ग्राम सत्यभामापुर (जिला -कटक) में हुआ था । उनका निधन 4 फरवरी 1934 को कटक में हुआ । उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से एम .ए .और वकालत की शिक्षा प्राप्त की थी । स्वतंत्रता आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया । वह पहले ऐसे प्रबुद्ध नागरिक थे ,जिन्होंने सबसे पहले एक अलग ओड़िशा राज्य की परिकल्पना की थी. उन्होंने इसके लिए लोगों को संगठित कर वर्ष 1903 में उत्कल सम्मिलनी की स्थापना की और इस मंच के माध्यम से लगातार जन जागरण का अभियान चलाया । सितम्बर 1897 में उन्होंने ब्रिटेन जाकर लंदन में ब्रिटिश सरकार के सामने पृथक ओड़िशा राज्य की मांग रखी ।वह 1907 में एक बार फिर लंदन गए और ओड़िशा वासियों की समस्याओं और भावनाओं की ओर ब्रिटिश सरकार का ध्यान आकर्षित किया । उत्कल सम्मिलनी के माध्यम से ओड़िशा राज्य निर्माण के लिए उनके नेतृत्व में जन जागरण के साथ -साथ जन आंदोलन भी चलता रहा ।
लेकिन यह विडम्बना ही है कि ओड़िशा राज्य निर्माण का उनका सपना उनके जीवनकाल में पूरा नहीं हो पाया । विधि का विधान देखिए कि ओड़िशा राज्य निर्माण के करीब 2 साल पहले ही 4 फरवरी 1934 को लगभग 86 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया । ओड़िशा राज्य एक अप्रैल 1936 को अस्तित्व में आया ।
–स्वराज करुण

See also  छत्तीसगढ़ की औद्योगिक पहल #CGBusinessEasy बनी देशभर में चर्चा का केंद्र