वक्फ संशोधन कानून पर बीजेपी का देशव्यापी जनजागरूकता अभियान, मुस्लिम समाज को बताए जा रहे “फायदे”
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर बढ़ते विवाद के बीच भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने एक देशव्यापी जनजागरूकता अभियान की शुरुआत की है। इस अभियान के ज़रिए पार्टी विशेष रूप से मुस्लिम समुदाय को यह समझाने का प्रयास कर रही है कि नया कानून उनके सामाजिक और आर्थिक विकास में कैसे मददगार हो सकता है। इस अभियान के समन्वय के लिए एक चार-सदस्यीय समिति बनाई गई है, जिसकी अध्यक्षता राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन दास अग्रवाल कर रहे हैं।
“गरीबों का हक़ सुनिश्चित करना उद्देश्य”: अग्रवाल
राधा मोहन दास अग्रवाल का कहना है कि इस अभियान का मूल उद्देश्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस सोच को आगे बढ़ाना है, जिसके अनुसार देश के गरीबों को सबसे पहले संसाधनों पर अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर वक्फ संपत्तियों का उचित प्रबंधन और पारदर्शी उपयोग होता, तो मुस्लिम समाज को सरकारी सहायता की आवश्यकता ही नहीं पड़ती।
उन्होंने कहा, “हमारे देश में वक्फ संपत्तियाँ एक बड़ा संसाधन हैं, जो मुसलमानों के कल्याण के लिए थीं, लेकिन इनका उपयोग कुछ चुनिंदा लोगों द्वारा निजी लाभ के लिए किया गया। नया कानून इन्हीं गड़बड़ियों को सुधारने के लिए लाया गया है।”
“लूट के खिलाफ कानून, मुस्लिम विरोध नहीं”: बीजेपी का दावा
बीजेपी का कहना है कि यह कानून किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं है, बल्कि उन लोगों के खिलाफ है जिन्होंने वक्फ की ज़मीनों पर अवैध कब्जा किया है। अग्रवाल ने आरोप लगाया कि इनमें से अधिकतर लोग मुस्लिम नेताओं, वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों और कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे हैं।
उन्होंने कहा कि 2006 में देश में वक्फ संपत्तियाँ 4.5 लाख थीं, जो अब बढ़कर 8.72 लाख हो गई हैं। लेकिन इनसे मिलने वाली सालाना आय मात्र ₹163 करोड़ से बढ़कर ₹166 करोड़ हुई है, जो बेहद कम है। उनका मानना है कि यदि इन संपत्तियों का सही उपयोग होता, तो यह राशि ₹1 लाख करोड़ तक पहुँच सकती थी।
“पुराने कानून में पक्षपात था, नए कानून में न्याय”: बीजेपी
बीजेपी का यह भी तर्क है कि कांग्रेस द्वारा 1995 और 2013 में किए गए संशोधनों ने वक्फ बोर्ड को अत्यधिक अधिकार दे दिए थे, जिससे कई बार आम नागरिकों की संपत्तियाँ बिना उचित प्रक्रिया के वक्फ घोषित कर दी जाती थीं। नया कानून इस प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक कदम है। अब वक्फ बोर्डों में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने का प्रावधान भी इसी उद्देश्य से किया गया है।
“ओवैसी और AIMPLB फैला रहे भ्रम”: बीजेपी
अग्रवाल ने दावा किया कि कुछ संगठन और नेता जैसे AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) इस कानून को लेकर गलत सूचनाएं फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसी वजह से यह जनजागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, ताकि आम मुसलमान सच्चाई को समझ सके।
16 पेज की बुकलेट और 4 पेज का पर्चा बांटा जा रहा
बीजेपी ने इस अभियान के तहत 16 पेज की एक बुकलेट और 4 पेज का एक पर्चा तैयार किया है, जिसे हर मुस्लिम परिवार तक पहुँचाने की योजना है। यह अभियान अब तक 26 से अधिक राज्यों में शुरू हो चुका है और आने वाले समय में ज़िला, विधानसभा और मंडल स्तर तक इसे ले जाया जाएगा।
NDA सहयोगी भी अभियान में शामिल
बीजेपी इस अभियान में अपने NDA सहयोगियों को भी शामिल कर रही है। गोवा में महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी (MGP) ने इसमें भागीदारी की है और बिहार में भी साझेदार दलों के साथ कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
अग्रवाल का कहना है कि यह अभियान सिर्फ जागरूकता फैलाने के लिए है और किसी राजनीतिक मजबूरी का परिणाम नहीं है। “लोग अब समझ रहे हैं कि वक्फ संपत्तियों की लूट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं,” उन्होंने कहा।