हमारी मानसिकता और अनशन की प्रासंगिकता
भारत माता की जय !! वन्दे मातरम !!! ज़िंदाबाद – मुर्दाबाद !!! आदि नारे किसी भी जुलूस या प्रदर्शन का हिस्सा होते हैं . आजकल देखता हूँ कि यह नारे आम हो गए हैं . हर गली मोहल्ले में इनकी गूंज सुनाई देती है . जब हम कोई विरोध या प्रदर्शन करते हैं तो, हम अपनी शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए इन नारों का प्रयोग करते हैं . इनका प्रयोग करना भी चाहिए, आखिर हम स्वतन्त्र देश के नागरिक हैं . एक ऐसे देश के नागरिक जहाँ का एक- एक वीर जवान विश्व को जीतने की क्षमता रखता है . मानवीय मूल्यों की रक्षा करना उसके जीवन का परम लक्ष्य है . उसने अपने जीवन का लक्ष्य यूँ निर्धारित किया है ” अपने लिए जिया तो क्या जिया , है जिन्दगी का मकसद औरों के काम आना ” और यही भावना उसे अपने प्राणों तक की आहुति तक देने के लिए प्रेरित करती है . इसी विशेषता के कारण भारत माँ को अपने हर सपूत पर गर्व है और उसी सपूत ने उसे पूरी दुनिया में अलग पहचान दी है. भारत माता गौरवान्वित हुई है . उसके क़दमों में सारा जहाँ अपना मस्तक झुकाता है और हर भारतीय अपनी जन्म भूमि का सम्मान होते देख गर्व से फुले नहीं समाता .
हमारे देश का प्रतिनिधित्व करने वाले ज्यादातर व्यक्ति (आज के परिप्रेक्ष्य को छोड़ कर ) अहिंसावादी रहे हैं .उनके लिए मानव जीवन के मायने दूसरों की ख़ुशी के लिए जीना है . सबके हितों के लिए लड़ना है . अपना हित न चाहते हुए , दूसरों के अधिकारों की रक्षा करना है . महर्षि दधीचि को तो सभी जानते हैं . देवताओं की रक्षा के लिए अपने शरीर की हडियाँ तक दान कर दीं, ऐसे और भी व्यक्ति हैं जिन्होंने मानव के अधिकारों के लिए अपने प्राणों तक की बाजी लगा दी , और हमारा समाज भी उन सबको आज तक भुला नहीं पाया है जिन्होंने मानवता के लिए अपने आपको समर्पित किया है . हमारे देश के ही नहीं बल्कि विश्व के हर एक प्राणी को एक पथ प्रदर्शक की आवश्यकता होती है . जिस देश और समाज में पथ प्रदर्शक सही और उद्दात व्यक्तित्व का मालिक होता है उस देश में किसी तरह का कोई विरोध उत्पन्न नहीं होता . वहां का जन जीवन सुख और खुशहाली से भरपूर होता है .
भारत को तो विश्व गुरु होने का गौरव प्राप्त है . यहाँ की माटी के हर कण में नैसर्गिक जीवन जीने की प्रेरणा भरी पड़ी है . लेकिन अफ़सोस इतना कुछ होने के बाबजूद भी आज हमारे देश में हाहाकार मचा है . चारों तरफ कुछ बातें नजर आती है जिनके बारे में सोचकर मन दुखी हो जाता है और वह यह कि व्यवस्था पर अव्यवस्था हावी , सत्य पर झूठ हावी , ईमानदारी पर बेईमानी हावी , सही पर गलत हावी , धर्म पर अधर्म हावी, व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के जितने भी पहलु हैं हर जगह मानवीय मूल्यों का हनन हो रहा है और मानव पतन की तरफ तेजी से अग्रसर है . भौतिक चकाचौंध में वह इतना रम गया है कि उसे अपने मानव होने का अहसास भी नहीं रहा है , जीवन का कोई अंत भी है यह बात भी वह भूल चूका है . उसके जहन में बस एक ही बात है और वह है कि ज्यादा से ज्यादा भौतिक साधनों का एकत्रण और उन भौतिक साधनों के एकत्रण में वह जीवन का सुख ढूंढ़ रहा है , उसे आवश्यकता और इच्छा में अंतर नजर नहीं आ रहा है , आवश्यकता की पूर्ति करना सही प्रतीत होता है और हमारी आवश्यकता जब पूरी हो जाती है तब हम संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन इच्छा के साथ ऐसा नहीं है . एक इच्छा पूरी हो जाती है तो दूसरी पनप पड़ती है , जब दूसरी पूरी हो जाती है तो फिर कई इच्छाएं हमारे जहन में उभर कर आती है , फिर हम पूरा जीवन उन इच्छाओं की पूर्ति के लिए लगाते हैं . आज का मानव यही कुछ कर रहा है . हमारे देश में ही नहीं बल्कि यह हर देश में हो रहा है . सूचना तकनीक के इस दौर में आज इंसान की भागदौड किसी एक दायरे में न बंधकर पूरी दुनिया में फैली है . वह अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए हर तरह के साधन अपना रहा है . जिनमें व्यवस्था का हनन भी एक साधन है . वह अपनी व्यवस्था को दरकिनार कर अपना हित साधने के लिए कुछ भी कर गुजरने के लिए तैयार है . दुसरे शब्दों में हम उसे भ्रष्टाचार कहते हैं .
“भ्रष्टाचार” शब्द को जब गहराई सोचता हूँ तो पाता हूँ कि यह शब्द अपने क्षेत्र में बहुत व्यापक अर्थ लिए है , और इसका दायरा भी बहुत बड़ा है . जैसे “सदाचार” शब्द किसी व्यक्ति के पूरे जीवन और नैतिकता को अभिव्यक्त करने के लिए काफी है वैसे ही भ्रष्टाचार शब्द किसी व्यक्ति के अनैतिक होने परिचय देने के लिए काफी है . एक ही शब्द से व्यक्ति का पूरा जीवन अभिव्यक्त होता है यह तो मानना ही पड़ेगा कि शब्द अपने अर्थ को पूरी तरह से प्रमाणित भी करता है . आज हर तरफ देखता हूँ कि सभी लोग भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़ रहे हैं . कोई भाषण बाजी कर रहा है , तो कोई मीडिया को अपना वयान दे रहा है . कहीं पर जुलुस निकला जा रहा है तो कहीं पर प्रदर्शन किया जा रहा है . कोई जेल जाने की तैयारी में है तो किसी की भड़ास कम्प्यूटर के कीबोर्ड से आग उगल रही है , और किसी ने तो निर्वस्त्र होने तक का आह्वान कर दिया …….! फिर पाया वाह भ्रष्टाचार तेरी लीला भी है अपरम्पार …..!
केवल राम
चम्बा (हिमाचल प्रदेश)