मिट्टी प्रतिमाओं की ही स्थापना हो : केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने दिए निर्देश

रायपुर  01 अगस्त  2014/ छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जल स्रोतों को प्रदूषण से बचाने के लिए मूर्तियों के निर्माण एवं विसर्जन के संबंध में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाईन का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। मंडल के अध्यक्ष श्री एन. बैजेन्द्र कुमार ने जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों तथा नगर पालिका निगमों के आयुक्तों को परिपत्र जारी कर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाईड लाईन की जानकारी दी है और इसका पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं।

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परिपत्र में कहा गया है कि प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों से पर्यावरण को होने वाले नुकसान को बताते हुए लोगों को जागरूक किया जाए कि मूर्तियां प्राकृतिक मिटटी से ही बनायी जाए तथा इसमें प्राकृतिक रंगों का उपयोग किया जाए, ताकि इनके विसर्जन के समय जल प्रदूषण की स्थिति निर्मित न हो। मूर्तियां बनाने में प्लास्टर ऑफ पेरिस एवं बेक्डक्ले  के उपयोग को पूरी तरह हतोत्साहित किया जाए। मिटटी से बनी मूर्तियों के विसर्जन से जल स्रोत्रों की गुणवत्ता प्रभावित होती है, जिसके फलस्वरूप न केवल जलीय जीव-जंतुओं की जान को खतरा उत्पन्न होता है, अपितु जल प्रदूषण की स्थिति भी उत्पन्न होती है। परिपत्र में यह भी कहा गया है कि केन्द्रीय प्रदूषण  नियंत्रण बोर्ड की गाइड लाईन के अनुसार पूजा सामग्री जैसे फूल, वस्त्र, कागज एवं प्लास्टिक से बनी सजावट की वस्तुएं इत्यादि मूर्ति विसर्जन के पूर्व अलग कर ली जाए तथा इसका अपवहन उचित तरीके से किया जाए। विसर्जन स्थल पर उपयोग किए हुए फूल, कपड़े, सजावट के सामान आदि जलाए न जाएं। मूर्ति विसर्जन स्थल पर पर्याप्त घेराबंदी व सुरक्षा की व्यवस्था हो। इसकी तैयारी पहले से ही कर ली जाए। विसर्जन स्थल पर नीचे सिंथेटिक लाईनर की भी व्यवस्था की जाए। मूर्तियों के विसर्जन के उपरांत लाईनर को विसर्जन स्थल से हटाया जाए, जिससे कि मूर्तियों के विसर्जन के पश्चात उनके अवशेष बाहर निकाला जा सके। इसी प्रकार बांस और लकड़ियों का पुनः उपयोग किया जाए। मूर्तियों की मिट्टी को भू-भराव के लिए उपयोग किया जाए।
मूर्तियों का विसर्जन नदियों और तालाबों में किया जा रहा है, तो विसर्जन के लिए अस्थायी पॉण्ड या बन्ड का निर्माण किया जाकर मूर्तियों का विसर्जन पॉण्ड या बन्ड में किया जाए, जिससे नदियों और तालाबों में प्रदूषण की स्थिति नियंत्रित हो सके। विसर्जन स्थल की व्यवस्था विसर्जन से कुछ समय पूर्व करके आम लोगों को स्थल के बारे में अवगत कराया जाए तथा विसर्जन के संबंध में व्यापक रूप से जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।

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