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राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी में पच्चीस शोध पत्र पढ़े गए

संचालनालय संस्कृति एवं पुरातत्व छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के दूसरे दिन उपस्थित शोधार्थियों ने मंदिर स्थापत्य एवं शिल्प कला विकास पर 25 शोध पत्र पढ़े।


शोध संगोष्ठी में भोपाल से आए हुए डॉ राजेन्द्र यादव ने कुंदनपुर के शैव संस्कृति संबंधित मंदिरों के विषय में जानकारी दी तथा उनके स्थापत्य कला पर अपनी बात रखी। बनारस से आई हुई डॉ सुनीता यादव ने मुकुट की विशेषता, महत्व एवं विकास पर अपना शोध पत्र पढ़ा।

संस्कृति एवं पुरातत्व उप संचालक श्री राहुल सिंह ने ईंट एवं पत्थरों से बने मंदिरों की विशेषताओं को रेखांकित करते हुए प्राचीन स्थापत्य के अध्ययन के लिए उपयुक्त शोध प्रविधि को अपनाए जाने की आवश्यकता बताई।

बस्तर विश्वविद्यालय से आए हुए डॉ आनंद मूर्ति मिश्रा ने बस्तर के स्मृति स्तंभों एवं आदिवासी संस्कृति पर प्रकाश डाला। इस तरह अन्य शोधार्थियों ने भी अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।

इस अवसर पर डॉ रमेन्द्रनाथ मिश्र, श्री ए के शर्मा, डॉ एल एस निगम, डॉ आर एन विश्वकर्मा, श्री जी एल रायकवार, डॉ दिनेश नंदिनी परिहार, डॉ मंगलानंद झा, डॉ आशुतोष चौरे, डॉ शंभुनाथ यादव, डॉ मनोज कुर्मी, डॉ आनंदमूर्ति मिश्रा, श्री हरि सिंह क्षत्रीय, श्री अजय चतुर्वेदी, शुभ्रा रजक एवं रविशंकर विश्व विद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री प्रभात सिंह ने किया।