दर्द : काव्य संग्रह समर्पण से

गम के दरिया में तैरती हुई नदिया को किनारा न मिला
हम कह सकें जिसे अपना ऐसा कोई हमारा न मिला
गुमनाम थी मेरी जिन्दगी तूने इसे क्यूं छेड़ दिया
रो भी सकूँ जिसके कांधे पर ऐसा कोई सहारा न मिला
हमने तो चाहा था कांटो को भी फ़ूलों जितना
पर जो सिर्फ़ हमें चाहे ऐसा वह प्यारा न मिला
तुम्हारी गुस्ताखियाँ चाहें भी तो कैसे भूल पाएंगे हम
हम थे जब तनहाईयों में भटकते तो साथ तुम्हारा न मिला
गम की बिजलियां झुलसा गयी मेरे आशियाने को
दे, दो पल की रोशनी मुझे ऐसा कोई सितारा न मिला
रुह तो जिस्म से जुदा हो गयी तुमसे बिछुड़ते ही
जी सके जिसे देख कर हम नयनों को ऐसा नजारा न मिला
गम के दरिया में तैरती हुई नदिया को किनारा न मिला

सुनीता शर्मा

रायपुर छत्तीसगढ

5 thoughts on “दर्द : काव्य संग्रह समर्पण से

  • January 15, 2012 at 06:02
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    हमने तो चाहा था कांटो को भी फ़ूलों जितना
    पर जो सिर्फ़ हमें चाहे ऐसा वह प्यारा न मिला

    दर्द जैसे शब्दों में ढल गया हो…

    Reply
  • January 15, 2012 at 08:33
    Permalink

    dhanywad lalit ji…………….. aapne is kawita ko apne blog me rakha… achha laga.

    Reply
    • January 15, 2012 at 08:41
      Permalink

      wow ! hamari kawita aapke side me………………… dekhkr achha lga hme. thanks lalit ji

      Reply

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