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संयमित जीवन एवं कार्य शैली ही श्रेयकर

किसी भी व्यक्ति ,समाज, राष्ट्र का कल्याण व्यवस्थित कार्य शैली को अपनाकर ही हो सकता है। सुव्यवस्था ही प्रगति का मार्ग प्रशस्त करती है। वेद-पुराण व शास्त्रों में जीवन को सुखी करने के लिए निरोगी काया के साथ संयमित आहार-विहार प्रमुखता दी गई है।

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