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प्राचीन भारत में स्त्री शिक्षा और विदुषियों का योगदान

उपनिषदकालीन ब्रह्मवादिनियाँ आज भी हिंदु समाज के विद्वत वर्ग में श्रद्धा से पूजी जाती हैं। ऋग्वेद में गार्गी, मैत्रेयी, घोषा, विश्ववारा, अपाला, अदिति, शची, लोपामुद्रा, सार्पराज्ञी, वाक्क, श्रद्धा, मेधा, सूर्या, सावित्री जैसी वेद मन्त्रद्रष्टा विदुषियों का उल्लेख मिलता है।

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स्वदेशी और स्त्री शिक्षा की प्रणेता : दुर्गाबाई देशमुख

दुर्गाबाई देशमुख का जन्म 15 जुलाई 1909 को आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा क्षेत्र के अंतर्गत राजामुंद्री में हुआ था। उनके पिता रामाराव भी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। जब वे दस वर्ष की थीं, तब पिता का निधन हो गया। उनकी माता कृष्णावेनम्मा भी स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी थीं और कांग्रेस की सचिव बनीं।

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