छत्तीसगढ़ का छेरछेरा पुन्नी तिहार एवं सामाजिक महत्व
छत्तीसगढ़ अपनी सांस्कृतिक विविधता और लोक परंपराओं के लिए जाना जाता है। पौष पूर्णिमा को सुबह से ही गाँव गाँव में बच्चों की टोली घूमने लगती है और छेरिक छेरा छेर बरकतीन छेर छेरा। माई कोठी के धान ल हेर हेरा, की पुकार गूंजने लगती है। क्योंकि यहाँ के पर्व-त्यौहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का हिस्सा हैं, बल्कि ये समाज को एकजुट करने, प्रकृति का सम्मान करने और सामूहिकता को बढ़ावा देने का माध्यम भी हैं।
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