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हर असंभव को संभव कर अपने जीवन को साधना बनाने वाले राष्ट्र योगी एकनाथजी

भारत के सुदूर दक्षिण कन्याकुमारी स्थित विवेकानंद शीला स्मारक, एकनाथजी की प्रबल कार्यशैली और ध्येय के प्रति निष्ठा का उदाहरण है। एकनाथजी की इसी अद्वितीय कार्यरूपी साधना व राष्ट्र के प्रति संपूर्ण निष्ठा के कारण, उनकी पुण्यतिथि को साधना दिवस के रूप में मनाया जाता है।

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स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण का ऐतिहासिक प्रभाव

वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने कहा, ‘मैं जा रहा हूं, लेकिन मैं तब तक वापस नहीं आऊंगा जब तक कि मैं समाज पर बम की तरह फट न सकूं।’  इस अवधि में, स्वामीजी ने एक बार कहा था, ‘मेरे जीवन के अंतिम बारह वर्षों में, मुझे यह नहीं पता था कि अगला भोजन कहाँ से आएगा।’ उन्होंने इस अवधि के दौरान शिकागो में विश्व धर्म संसद के बारे में भी जाना।

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