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संत कवि पवन दीवान की पुण्यतिथि पर साहित्यकारों और प्रबुद्ध जनों ने उन्हें याद किया 

साहित्यिक संस्था  अगासदिया के आमदी नगर, भिलाई स्थित परिसर में आज 2 मार्च को छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय संत कवि पवन दीवान की दसवीं पुण्य तिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई. इस अवसर पर आयोजित विशेष समारोह में अनेक आंचलिक साहित्यकारों और प्रबुद्धजनों ने उनसे जुड़ी अपनी स्मृतियों को साझा किया

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अतीत से वर्तमान तक एक शहर की निरंतर जारी यात्रा

लेखक आशीष सिंह ने ‘रायपुर ‘ शीर्षक से प्रकाशित 194 पेज की किताब में रायपुर शहर के इतिहास को अपनी धारा प्रवाह लेखन शैली में बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है। उन्होंने इस शहर के वर्ष 1867-68 के नक्शे और यहाँ के वरिष्ठ गीतकार रामेश्वर शर्मा  की कविता ‘रायपुर महिमा ‘ से की है।

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वसंत के संदेशवाहक महुआ के फ़ूल

महुआ और पलाश के खिलते हुए फूल वसंत के संदेशवाहक हैं, जो हमें ऋतुराज के आगमन की सूचना देते हैं. महुए के पेड़ों के नीचे बहुत जल्द उनके सुनहरे ,पीले फूलों की बारिश होगी। वसंत के इस मौसम में अभी महुए की कलियां धीरे -धीरे कुचिया रही हैं। जैसे ही फूल बनकर धरती पर उनका टपकना शुरू होगा , वनवासियों के लिए मौसमी रोजगार के भी दिन आ जाएंगे ।

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शहनाई के जादूगर उस्ताद बिस्मिल्लाह खान

सुप्रसिद्ध शहनाई वादक ‘भारत रत्न’ उस्ताद बिस्मिल्लाह ख़ाँ को आज उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र नमन। शहनाई वादन में उनके कला -कौशल को देखकर उन्हें ‘शहनाई का जादूगर ‘भी कहा जा सकता है। उंन्होने बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाकर जीवन पर्यन्त माँ गंगा के तट पर शहनाई वादन किया। उनके शहनाई वादन में जादुई सम्मोहन हुआ करता था। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते थे।

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एक युग, अनेक भूमिकाएं : हरि ठाकुर

हिन्दी और छत्तीसगढ़ी भाषाओं के वह एक ऐसे कवि थे, जिनकी कविताओं में और जिनके गीतों में अन्याय और शोषण की जंजीरों से माटी -महतारी की मुक्ति की बेचैन अभिव्यक्ति मिलती है। वह एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, इतिहासकार, पत्रकार, लेखक, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता और छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन के अग्रणी नेता भी थे।

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गैंदसिंह थे छत्तीसगढ़ के प्रथम बलिदानी : स्वतंत्रता संग्राम

उत्तर बस्तर (कांकेर ) जिले में चारामा के शासकीय महाविद्यालय का नामकरण शहीद गैंदसिंह के सम्मान में किया गया है,वहीं नवा रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ सरकार का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम और महासमुंद जिले का कोडार सिंचाई जलाशय भी शहीद वीर नारायण सिंह के नाम पर है।

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