श्री रमेश शर्मा

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1857 का क्रूर प्रतिशोध: जब अंग्रेजों ने सिपाही विद्रोह के जवाब में जलाया कानपुर

1857 की क्रांति के दौरान कानपुर और बिठूर में जनरल हैवलॉक और नील द्वारा किए गए नरसंहार की क्रूर गाथा, जब हज़ारों निर्दोष भारतीयों को मौत के घाट उतारा गया और गांव के गांव जला दिए गए।

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futuredइतिहास

रणथंभौर का त्रिदिवसीय जौहर और शाका : स्वाभिमान की ज्वाला

1301 ई. में रणथंभौर की वीरांगनाओं द्वारा किया गया राजस्थान का पहला ऐतिहासिक जौहर, रानी रंगा देवी और उनकी पुत्री पद्मला के आत्मबलिदान की गाथा, अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण और हमीर देव के शौर्य के प्रसंग के साथ।

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futuredविश्व वार्ता

आपात काल : एक ऐसी अंधेरी रात जिसके सुबह होने की कोई तिथि नहीं थी…

संविधान में आपातकाल लगाने का प्रावधान है, लेकिन यह तब है जब संकट राष्ट्र पर हो। लेकिन 25 जून 1975 को राष्ट्र पर कोई संकट नहीं था, फिर भी आपातकाल लागू किया गया था।

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futuredताजा खबरें

लोकतंत्र की रक्षा हेतु आपातकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भूमिका

आपातकाल में सबसे अधिक दबाव राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर था। संघ पर प्रतिबंध लगा। सभी प्रमुख प्रचारक और दायित्ववान अधिकारी

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futuredधर्म-अध्यात्म

भारत की ऋषि परंपरा से वैश्विक स्वास्थ्य तक की यात्रा : योग दिवस

भारतीय ज्ञान परंपरा में योग विधा कितनी प्राचीन है, यह कहना कठिन है। जहाँ तक इतिहास दृष्टि जाती है, वहाँ तक योग का उल्लेख मिलता है। गीता, महाभारत, उपनिषद, अरण्यक और वेदों में भी योग का वर्णन है।

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futuredहमारे नायक

भारतीय स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की प्रतीक : वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई

स्वाभिमान, स्वाधीनता और संस्कृति की रक्षा के लिये भारत में असंख्य बलिदान हुए हैं, तब जाकर हमने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता का सूर्योदय देखा। इन बलिदानों में रानी लक्ष्मीबाई का अनूठा बलिदान भी है, जिन्होंने अपनी अंतिम श्वास तक संघर्ष किया।

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