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स्वदेशी आंदोलन के आर्य नायक पंजाब केसरी लाला लाजपतराय

आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।

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भगवान बिरसा मुँडा ने अंग्रेजों से मुक्ति के लिये जीवन का बलिदान : जनजातीय गौरव दिवस

क्रान्तिकारी विरसा मुँडा ऐसी ही विभूति थे। उनमें अद्भुत आध्यात्म चेतना थी। जिससे पूरे समाज ने उन्हें “भगवान बिरसा मुँडा” कहकर शीश नवाया। भारत राष्ट्र की अस्मिता और साँस्कृतिक रक्षा के लिये भारतीय जनजातीयों ने सदैव संघर्ष किया है।

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काशी हिंदू विश्वविद्यालय: महामना के स्वप्न की साकार प्रतिमूर्ति

यह संस्थान केवल एक विश्वविद्यालय भर नहीं अपितु भारत राष्ट्र की संपूर्णता की छविकृति है। यह महामना पंडित मदनमोहन मालवीय की उस स्वप्न छवि का साकार स्वरूप है जो उन्होंने भारत को एक गौरवमयी राष्ट्र केलिये पीढ़ी निर्माण का स्वप्न देखा था। वे बहुआयामी प्रतिभा और व्यक्तित्त्व के धनी थे। इसीलिए उन्हें “महामना” का सम्मान मिला। उनसे पहले और उनके बाद यह सम्मान किसी को न मिला।

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क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त ने गद्दार को जेल में गोली मारी

विश्वासघाती को सबक सिखाने वाले सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त का जन्म 30 अगस्त 1888 को बंगाल के चंदननगर में हुआ था। उनका नाम सर्वतोष रखा गया। किन्तु उनका जन्म भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को हुआ था इससे वे कन्हाई नाम कन्हाई से प्रसिद्ध हुये।

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औरंगजेब के आदेश पर जिनकी क्रूर हत्या की गई

तब 9 नवम्बर 1675 को सबसे पहले भाई मतीदास को लकड़ी के पटियों में बाँधा गया। फिर जल्लादों ने सिर पर आरा रखा और धीरे धीरे चीरना आरंभ किया। उनके शरीर को कमर तक चीरकर दो भागों में बांट दिया गया। भयभीत करने के लिये यह दृश्य सभी बंदियों को दिखाया गया। फिर भी कोई न डिगा।

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गौरक्षा आंदोलन में गोलीकांड और साधु-संतों का बलिदान

व्यक्तिगत स्तर पर नंदा जी गौहत्या पर प्रतिबंध लगाने के पक्षधर थे। पर निर्णय न हो सका और उनके गृहमंत्री रहते हुये संतों पर लाठी गोली और अश्रुगैस छूटी। उन्होने इस घटना से क्षुब्ध होकर अपने पद से त्यागपत्र दे दिया।

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