श्री रमेश शर्मा

futuredछत्तीसगढ

भगतसिंह के प्रेरणास्रोत और गदर क्रांति के अग्रदूत

उन्हीं दिनों प्रथम विश्व युद्ध आरंभ हो गया। तब करतार सिंह भारत आ गये। जनवरी 1914 में समाचार पत्र ‘गदर’ का गुरुमुखी संस्करण आरंभ हुआ। लाला हरदयाल जी इसके संपादक और करतार सिंह उपसंपादक बने।

Read More
futuredहमारे नायक

क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौड़ का बलिदान

स्वाधीनता संग्राम में यदि अहिसंक आँदोलन ने पूरे देश में एक जाग्रति का वातावरण बनाया था तो क्राँतिकारी आँदोलन ने अंग्रेजों को सर्वाधिक विचलित किया था। भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ से कोई न कोई नौजवान क्राँतिकारी आँदोलन से न जुड़ा हो। कासगंज के क्राँतिकारी महावीर सिंह राठौर ऐसे क्राँतिकारी थे जिन्होंने सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी भगतसिंह और दुर्गाभाभी को सुरक्षित लाहौर से निकाला था।

Read More
futuredहमारे नायक

बलिदान की अमर गाथा: प्रीतिलता वादेदार

सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी प्रीतिलता वादेदार का जन्म 5 मई 1911 को चटगाँव में हुआ था। अब यह क्षेत्र पाकिस्तान में है। उनके पिता नगरपालिका के क्लर्क थे। वे चटगाँव के कन्या विद्यालय की मेधावी छात्रा थीं। उन्होंने सन् 1928 में मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। वे इंटरमीडिएट परीक्षा में पूरे ढाका बोर्ड में पाँचवें स्थान पर आईं।

Read More
futuredहमारे नायक

दिल्ली विजय से दोराहा संधि तक वीरता की अमर गाथा

बाजीराव पेशवा जैसी महान विभूतियों का बलिदान है, जिससे आज भारत का स्वत्व प्रतिष्ठित हो रहा है। ऐसे महान यौद्धा का आज 28 अप्रैल को निर्वाण दिवस है। उनका पूरा जीवन युद्ध में बीता।

Read More
futuredविश्व वार्तासमाज

क्या था तहव्वुर राणा का असली मिशन? भगवा आतंकवाद के फर्जी नैरेटिव का क्या होगा पर्दाफाश?

26/11 मुम्बई आतंकी हमले का “मास्टरमाइंड” तहव्वुर राणा भारत आ गया है। उससे पूछताछ चल रही है। इस आतंकी हमले से संबंधित अनेक प्रश्न अब तक अनुत्तरित हैं। इनमें एक भारत में आतंकवादियों की जड़ों का है और दूसरा आतंकी हमलों को “भगवा” रंग लपेटकर प्रचारित करने के “मास्टरमाइंड” का है। आशा की जा रही है कि पूछताछ में सभी रहस्य सामने आ सकेंगे।

Read More
futuredहमारे नायक

छापामार युद्ध के उस्ताद तात्या टोपे एवं उनकी सैन्य रणनीति

सुप्रसिद्ध बलिदानी तात्या टोपे संसार के उन विरले सेनानायकों में से एक हैं, जिन्होंने न केवल एक व्यापक क्रांति का संचालन किया, बल्कि क्रांति के अधिकांश नेताओं के बलिदान के बाद भी लगभग एक वर्ष तक अकेले अपने पराक्रम से उस क्रांति को जीवंत रखा और पूरे भारत में अंग्रेजों को छकाया।

Read More