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जिन्हें जिन्दा कोल्हू में पीसा था औरंगजेब के किलेदार ने..

कुछ विद्वानों का मानना है कि बाबा मोतीराम मेहरा और उनके परिवार को 30 दिसम्बर 1704 को पकड़ा गया और एक जनवरी 1705 को कोल्हू में पीसा गया। जबकि कुछ का मानना है कि 30 दिसंबर को वजीर खान को खबर लगी, 31 दिसम्बर को परिवार सहित पकड़ कर लाया गया, एक जनवरी को पेशी हुई और तीन जनवरी 1705 को कोल्हू में पीसा गया।

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सामाजिक समरसता और नारी कल्याण के लिये जीवन समर्पित : डॉ राधा बाई

राधाबाई महाराष्ट्र की रहने वालीं थीं। उनका पूरा जीवन छत्तीसगढ़ में बीता। वे पेशे से नर्स थीं लेकिन अपने पूरे परिवेश में डाक्टर राधाबाई के नाम से प्रसिद्ध थीं। वे 1930 से स्वतंत्रता के लिये किये जाने वाले अहिसंक आँदोलन से जुड़ीं और उन्होंने 1942 तक हर ‘सत्याग्रह’ में भाग लिया एवं जेल गईं।

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नव वर्ष मनाएं पर सावधानी के साथ

केवल भारत ही नहीं पूरी दुनियाँ नया साल मनाने की तैयारी हो रही है। नदियों  झील, समन्दर और पहाड़ों के

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संघ जनसंघ और भाजपा के अद्भुत सृजक और शिल्पी : कुशाभाऊ ठाकरे

संपन्नता अर्जित करना उतना कठिन नहीं जितना गुरुत्व प्राप्त करना है। गुरुत्व के लिये साधना लगती है, तपस्चर्या लगती है।

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साहिबजादों के बलिदान की गाथा : वीर बाल दिवस

सनातन संस्कृति, राष्ट्र और परंपराओं की रक्षा केलिये भारत में असंख्य बलिदान हुये हैं। इनमें कुछ परिवारों की तो पीढ़ियों का बलिदान हुआ। इसमें गुरु गोविन्दसिंह की वंश परंपरा भी है जिनकी पीढियों का बलिदान इतिहास पन्नों में दर्ज है। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह गुरु गोविन्द सिंह के चारों पुत्रों को दी गई क्रूरतम यातनाएँ और उनका बलिदान का विवरण आज भी रोंगटे खड़े कर देता है।

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राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पित महामना मदनमोहन मालवीय

मालवीय जी ने प्रयाग में भारती भवन पुस्तकालय, मैकडोनेल यूनिवर्सिटी हिन्दू छात्रालय और मिण्टो पार्क की स्थापना की। हरिद्वार में ऋषिकुल, गौरक्षा, आयुर्वेद सम्मेलन तथा सेवा समिति, स्काउट गाइड तथा सेवा क्षेत्र की अनेक संस्थाओं की  स्थापना की।

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