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ऐसे बलिदानी क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ

स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अकेले ऐसे बलिदानी क्राँतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ, उनका पूरा जीवन तिहरे संघर्ष से भरा  है। एक संघर्ष राष्ट्र की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के लिये किया। दूसरा संघर्ष अंग्रेजों से मुक्ति केलिये। और तीसरा संघर्ष भारत के अपने ही बंधुओं के लांछन के झाँछन झेलने का।

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दोहरा आजीवन कारावास, सर्वाधिक प्रताड़ना झेलने वाले वीर सावरकर

यदि तेल निकालने की मात्रा कम हो तो पिटाई होती थी। भोजन नहीं दिया जाता था। उसी जेल में उनके भाई भी थे पर दोनों भाई एक दूसरे से मिलना तो दूर देख भी नहीं सकते थे। पूरी जेल में सावरकर जी एकमात्र ऐसे कैदी थे, जिनके गले में अंग्रेजों ने एक पट्टी लटका रखी थी। इस पर “D” लिखा था । “D” अर्थात डेंजरस। यातनाएँ देने का यह चक्र चला लगभग ग्यारह वर्ष चला।

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