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ॠतुओं के अनुसार भोजन करें और स्वस्थ रहें

हमारे पूर्वज स्वस्थ रहा करते थे एवं प्रसन्नता से अपनी पूरी उम्र जी कर जाते थे। आज व्याधियों के कारण अकाल मृत्यू का प्रतिशत बढ गया है। हम तीस चालिस बरस पीछे का हमारा जीवन देखें तो हम हमेशा ॠतु में होने वाली उपज का ही सेवन करते थे। भारत में वर्षा, शीत एवं ग्रीष्म तीन प्रमुख ॠतुएं होती हैं। वर्षाकाल में हरी सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता था। ग्रीष्म ॠतु में ही वर्षाकाल के भोजन की तैयारी कर ली जाती थी।

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लेखक का लेखन कब मरता है ?

जब कलम किराये पर चढ़ जाती है, तो लेखन कमजोर पड़ जाता है। लेखक की कलम को जब और कहीं से मार्गदर्शन मिलता है, तो वे धीरे-धीरे लेखक मरने लगता हैं। उनकी आत्मा की प्रखरता और तेजस्विता समाप्त हो जाती है। शब्दों की शक्ति कमजोर हो जाती है, और विचारों में गहराई नहीं रह जाती।

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अलख निरंजन शब्द की उत्पत्ति एवं सामाजिक आध्यात्मिक प्रभाव

अलख, अ+लख, जो दिखाई न दे, जो दृष्टिगोचर न हो। माने निराकार और निराकार ईश्वर को ही कहा गया है। निरंजन शब्द की उत्पत्ति अंजन शब्द में निर् प्रत्यय लगाने के बाद होती है। निर का अर्थ है बिना या रहित तथा अंजन का अर्थ है काजल या अंधकार। निरंजन का शाब्दिक अर्थ होता है “जो अंजन (काजल या अंधकार) से रहित हो। किन्तु इसका तत्वार्थ बहुत गहरा है।

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वर्षाजल का संचयन करें एवं भारत को जलसंकट से बचाएं

विश्व में मानव उपयोग के जल की भारी कमी होती दिखाई दे रही है, जो रिपोर्ट विभिन्न शोध संस्थानों से

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शीतला दाई और जुड़वास पर्व: छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति

छत्तीसगढ़ की ग्रामीण संस्कृति में देवी-देवताओं का महत्वपूर्ण स्थान है, और इनमें से एक प्रमुख देवी हैं शीतला दाई। यह

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वर्षाजल संग्रहण का उपाय करो वरना केपटाउन बनते देर नहीं लगेगी

दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन शहर, जो अपने सुंदर समुद्र तटों और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, हाल ही में एक गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। इस शहर को जलविहीन घोषित कर दिया गया है, जो दर्शाता है कि विश्व भर में पेयजल की कमी और ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव कितने गंभीर हो सकते हैं।

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