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अलवार संतों की भक्ति में श्रीराम

ईस्वी सदी के आरम्भ में रचित सिलपट्टीकरम, जो तमिल साहित्य की पांच श्रेष्ठ कृतियों में से है, उसमे भी रामायण के अनेक सन्दर्भ मिलते हैं. लेखक ने इसमें राम को विष्णु से पहचान करते हुए लिखा है कि – भगवन विष्णु के पुण्य-चरण जिनसे उन्होंने त्रिविक्रम के रूप में ब्रह्माण्ड को नापा था, वे आज वन में लक्ष्मण के साथ चलते हुए रक्त-रंजित हो गए हैं.

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विश्व की प्राचीन सभ्यताओं में नाग एवं जैव विविधता संरक्षण

नागों की उपस्थिति एवं उनकी पूजा प्राचीन सभ्यताओं एवं संस्कृतियों महत्व स्थान रखती है। भले ही उनकों अलग-अलग रुपों या कारणों से पूजा जाता हो परन्तु वे मानव सभ्यताओं में विशेष स्थान रखते हुए वर्तमान में भी विशिष्ट बने हुए हैं।

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दिव्य धरा सों उपजी सीता, मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता

जनकसुता अवनिधिया  राम प्रिया लवमात। चरणकमल जेहि उन बसै सीता सुमिरै प्रात। भारत में जनकनंदिनी सीता का जन्मदिवस धूमधाम से

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दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न

रायपुर .“दक्षिण कोसल की रामलीला एवं उसका सामाजिक प्रभाव”विषय पर हुई वेबिनार में वक्ताओं ने कहा कि रामलीला केवल आस्था तक सीमित नहीं हैं। वास्तव में यह तो संस्कार का अहम् स्रोत है।

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