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भारतीय संस्कृति और धर्म में गणेश जी का स्थान एवं महत्व

विघ्ननाशक और सिद्धि विनायक गणेश या गणपति की विनायक के रूप में पूजन की परंपरा प्राचीन है किंतु पार्वती अथवा गौरीनंदन गणेश का पूजन बाद में प्रारंभ हुआ। ब्राह्मण धर्म के पांच प्रमुख सम्प्रदायों में गणेश जी के उपासकों का एक स्वतंत्र गणपत्य सम्प्रदाय भी था जिसका विकास पांचवीं से आठवीं शताब्दी के बीच हुआ।

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प्रदर्शन कलाओं में रघुनंदन

जनजातीय संस्कृति का भी रामायण से नज़दीकी रिस्ता है। यहाँ कातकरी खुद को वानर सेना का वंशज मानते हैं। भील माता शबरी को अपना वंशज मानते हैं।सह्याद्रि क्षेत्र के वनवासी हर साल बोहाडा उत्सव मनाते हैं।

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कोरोना संक्रमित की आपबीती

लगभग एक साल होने को आया था कोरोना से बचते बचाते . इतने में घर के रिनोवेशन का काम भी

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