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पत्रकारिता से स्वतंत्रता संग्राम तक:पंडित रामदहिन ओझा

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक बलिदानी ऐसे भी हैं जिन्होंने अपने लेखन से जनमत जगाया, युवकों को क्राँति के लिये संगठित किया और स्वयं विभिन्न आँदोलनों में सीधी सहभागिता की और बलिदान हुये। सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित रामदहिन ओझा ऐसे ही बलिदानी थे।

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अंग्रेजों ने किया था पूरे गाँव में सामूहिक नरसंहार

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में वनवासी वीर बलिदानी बुधु भगत ऐसा क्राँतिकारी नाम है जिनका उल्लेख भले इतिहास की पुस्तकों में कम हो पर छोटा नागपुर क्षेत्र के समूचे वनवासी अंचल में लोगो की जुबान पर है। उस अंचल में उन्हें दैवीय शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वन्य क्षेत्र के अनेक वनवासी परिवार उन्हें लोक देवता जैसा मानते हैं और उनके स्मरण से अपने शुभ कार्य आरंभ करते हैं।

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वनवासी संघर्ष के नायक : क्रांतिकारी तिलका मांझी

ऐसे ही एक बड़े संघर्ष का विवरण संथाल परगने में मिलता है। जिसके नायक वनवासी तिलका मांझी थे। जिन्हें अंग्रेजों ने चार घोड़ो से बाँध कर जमीन पर घसीटा था। फिर भी वीर विद्रोही तिलका ने समर्पण नहीं किया।

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गीतों की शब्द शक्ति से राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान जगाने वाले कवि

सैनिकों के बलिदान पर उनका गीत “ऐ मेरे वतन के लोगो, जरा आँख में भर लो पानी” की रचना की। जिस भाव से प्रदीप ने इस गीत की रचना की उसी भावना से लता जी ने गाया। इस गीत के बोल आज भी हृदय को छू जाते हैं। यह गीत देश भक्ति के गीतों में अग्रणी माना गया ।

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राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के प्रति समर्पित महामना मदनमोहन मालवीय

मालवीय जी ने प्रयाग में भारती भवन पुस्तकालय, मैकडोनेल यूनिवर्सिटी हिन्दू छात्रालय और मिण्टो पार्क की स्थापना की। हरिद्वार में ऋषिकुल, गौरक्षा, आयुर्वेद सम्मेलन तथा सेवा समिति, स्काउट गाइड तथा सेवा क्षेत्र की अनेक संस्थाओं की  स्थापना की।

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क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त ने गद्दार को जेल में गोली मारी

विश्वासघाती को सबक सिखाने वाले सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी कन्हाई लाल दत्त का जन्म 30 अगस्त 1888 को बंगाल के चंदननगर में हुआ था। उनका नाम सर्वतोष रखा गया। किन्तु उनका जन्म भगवान श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात को हुआ था इससे वे कन्हाई नाम कन्हाई से प्रसिद्ध हुये।

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