प्रहलाद सबनानी

futuredपॉजिटिव स्टोरी

भारत की आर्थिक प्रगति: झूठे विमर्शों के पीछे की सच्चाई

विकसित देशों के बीच, पूरे विश्व में भारत आज सबसे तेज गति से आगे बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है। जापान, ब्रिटेन, फ्रांस, इटली आदि देशों से आगे निकलते हुए भारत आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है।

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futuredताजा खबरेंविश्व वार्ता

पाकिस्तान को अपने नागरिकों के हित में अपनी भारत विरोधी नीति को छोड़ना ही होगा

भारत विरोध को राष्ट्रीय नीति बनाकर पाकिस्तान ने अपने नागरिकों के हितों की अनदेखी की है। आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर पिछड़ते पाकिस्तान को अब भारत से शत्रुता छोड़, मित्रता और विकास की राह अपनानी चाहिए।

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futuredखेत-खलिहानविविध

भारतीय कृषि: आत्मनिर्भरता से समृद्धि की ओर

भारतीय अर्थव्यवस्था में किसी भी दृष्टि से कृषि क्षेत्र के योगदान को कमतर नहीं आंका जा सकता है क्योंकि उद्योग एवं सेवा क्षेत्र का विकास भी कृषि क्षेत्र के विकास पर ही निर्भर करता है। अधिकतम उपभोक्ता तो आज भी ग्रामीण इलाकों में ही निवास कर रहे हैं एवं उद्योग क्षेत्र में निर्मित उत्पादों की मांग भी ग्रामीण इलाकों से ही निकल रही है। अतः देश में कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देना ही होगा।

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futuredसमाज

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वैश्विक प्रभाव

बांग्लादेश में तो हाल ही के समय में सत्ता पलट के पश्चात हिंदुओं सहित वहां के अल्पसंख्यक समुदायों पर कातिलाना हमले किए गए हैं। केवल बांग्लादेश ही क्यों बल्कि विश्व के किसी भी अन्य देश में हिंदुओं के साथ इस प्रकार की घटनाओं का कड़ा विरोध होना चाहिए।

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futuredसमाज

भारत में स्वास्थ्य जागरूकता का अतीत और वर्तमान

प्राचीनकाल में भारत के नागरिकों में स्वास्थ्य के प्रति चेतना का भाव जागृत रहता था। जागरूकता तो यहां तक थी कि किस प्रकार जीवन की दिनचर्या स्थापित हो कि परिवार में कोई बीमार ही नहीं हो, बीमारी का निदान तो आगे की प्रक्रिया रहती है। उस खंडकाल में प्रत्येक नागरिक इतना सजग रहता था कि प्रातःकाल एवं सायंकाल में 5/10 किलोमीटर तक नियमित रूप से पैदल चलना एवं योगक्रिया तथा प्राणायाम आदि का अभ्यास नियमित रूप से करता था

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futuredविविधविश्व वार्ता

वैश्विक व्यापार युद्ध में भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ

तीसरे, मेक इन इंडिया ट्रम्प के टैरिफ युद्ध का सही जवाब है। आज भारत को सही अर्थों में “आत्मनिर्भर भारत” बनाए जाने की सबसे अधिक आवश्यकता है। भारत के लिए केवल अमेरिका ही विदेशी व्यापार के मामले में सब कुछ नहीं होना चाहिए, भारत को अपने लिए नित नए बाजारों की तलाश भी करनी होगी। एक ही देश पर अत्यधिक निर्भरता उचित नहीं है। स्वदेशी उद्योगों को भी बढ़ावा देना ही होगा।

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