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स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण का ऐतिहासिक प्रभाव

वाराणसी की अपनी यात्रा के दौरान, उन्होंने कहा, ‘मैं जा रहा हूं, लेकिन मैं तब तक वापस नहीं आऊंगा जब तक कि मैं समाज पर बम की तरह फट न सकूं।’  इस अवधि में, स्वामीजी ने एक बार कहा था, ‘मेरे जीवन के अंतिम बारह वर्षों में, मुझे यह नहीं पता था कि अगला भोजन कहाँ से आएगा।’ उन्होंने इस अवधि के दौरान शिकागो में विश्व धर्म संसद के बारे में भी जाना।

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सहिष्णुता और राजनीति के द्वंद्व में फंसा हिन्दू समाज

एक के बाद एक लगातार हिन्दुओं को राजनीतिक दाँव-पेंच में कसा जा रहा है। उनके अधिकारों को खत्म करते कानून बनाए गये। अंग्रेजों ने तो ‘फूट डालो और राज करो’ की नीति पर चलकर हिन्दुओं पर जैसा कहर बरपाया उसकी मिसाल नहीं दी जा सकती। अंग्रेजों ने हिन्दू शब्द को आयातित बतलाकर हमारे इतिहास में उतार दिया।

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