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एकात्म मानव दर्शन : चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक स्वरूप दिया था दीनदयाल जी ने

दीनदयाल उपाध्याय ने “एकात्म मानव दर्शन” के माध्यम से चतुर्पुरुषार्थ सिद्धांत को व्यवहारिक रूप में प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि समाज के विकास का आधार धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के संतुलन पर होना चाहिए।

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