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भारतवर्ष के अमृतकाल मे वंदे मातरम की प्रासंगिकता

विश्व इतिहास मे नारों का अपना इतिहास रहा हैं, कभी कभी तो एक नारा पूरे आंदोलन को बदल के रख देता हैं। इतिहास मे ऐसे कई उदाहरण हैं, जैसे स्वराज मेरा जन्मसिद्धह अधिकार हैं, गरीबी हटाओ आदि आदि। वर्तमान के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव मे भी हमने देखा होगा की कैसे कुछ नारे “एक हैं तो सेफ हैं” या “बटेंगे तो कटेंगे” पूरे चुनाव मे हावी रहा

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एक राष्ट्रभक्त आर्य संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद का बलिदान

आर्यसमाज के प्रखर वेदज्ञ वक्ता, उच्चकोटि के अधिवक्ता, ओजस्वी वक्ता, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारियों की एक पूरी पीढ़ी तैयार

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हिन्दू महासभा के प्रेरणास्रोत डॉ. बालकृष्ण शिवराम मुंजे का जीवन और योगदान

1898 में मेडिकल कॉलेज मुम्बई से मेडिकल डिग्री ली और मुम्बई में ही नगर निगम के चिकित्सा अधिकारी नियुक्त हो गये। अपनी चिकित्सा सेवा के साथ उन्हे सैन्य कार्यों में रुचि रही इसका उन्होंने प्रयास किया और सेना की चिकित्सा शाखा में कमीशन अधिकारी नियुक्त हो गये।

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छत्तीसगढ़ की प्रथम कालापानी की सजा-हटे सिंह को : सुरेन्द्र साय का उलगुलान

यह लेख छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण क्रांतिकारियों, विशेष रूप से वीर नारायण सिंह, माधो सिंह और वीर सुरेंद्र साय के योगदान को उजागर करता है।

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साहित्य, इतिहास और समाज जागरण के अग्रदूत: वैद्य गुरुदत्त

वैद्य गुरुदत्त ऐसे ही निर्भीक और राष्ट्रीय अस्मिता के लिये समर्पित लेखक और इतिहासकार थे । जिनका पूरा जीवन सत्य को समर्पित रहा। समाजिक जागरण केलिये ऐसा कोई विषय नहीं जिसपर गुरुदत्त जी लेखनी न चली हो।

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स्वतंत्रता संग्राम के दार्शनिक योद्धा : महर्षि अरविंद

महर्षि अरविंद का वास्तविक नाम अरविंद घोष था उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। पिता डॉक्टर कृष्ण धन घोष एक प्रतिष्ठित चिकित्सक और प्रभावशाली व्यक्ति थे

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