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जातीय जनगणना: ब्रिटिश नीति की छाया और भारतीय समाज का विखंडन

भारत में जातीय जनगणना का इतिहास एक औपनिवेशिक विरासत है, जिसकी जड़ें 1871 में ब्रिटिश शासन द्वारा कराई गई पहली जातिगत जनगणना में हैं। यह न केवल सामाजिक विभाजन का औजार बना, बल्कि भारतीय समाज की गतिशीलता और समरसता को भी बाधित किया। आज जरूरत इस बात की है कि जातीय पहचान को विभाजन के बजाय सामाजिक सशक्तिकरण का माध्यम बनाया जाए — ताकि इतिहास की गलतियों से सीख लेकर एक समतामूलक भविष्य की ओर बढ़ा जा सके।

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छत्तीसगढ़ में ग्रामीण आवास क्रांति की नई इबारत, हर जरूरतमंद को पक्का घर

छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में ग्रामीण विकास का नया अध्याय लिखा जा रहा है। ‘मोर दुवार–साय सरकार’ अभियान के तहत गरीब और वंचित परिवारों को प्रधानमंत्री आवास योजना और अन्य योजनाओं के माध्यम से पक्के मकान दिए जा रहे हैं। यह पहल न केवल लाखों परिवारों को आश्रय दे रही है, बल्कि आर्थिक गतिविधियों को भी गति प्रदान कर रही है।

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