स्वतंत्रता संग्राम के दार्शनिक योद्धा : महर्षि अरविंद
महर्षि अरविंद का वास्तविक नाम अरविंद घोष था उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। पिता डॉक्टर कृष्ण धन घोष एक प्रतिष्ठित चिकित्सक और प्रभावशाली व्यक्ति थे
Read moreमहर्षि अरविंद का वास्तविक नाम अरविंद घोष था उनका जन्म 15 अगस्त 1872 को कलकत्ता के एक सम्पन्न परिवार में हुआ था। पिता डॉक्टर कृष्ण धन घोष एक प्रतिष्ठित चिकित्सक और प्रभावशाली व्यक्ति थे
Read moreसके पीछे कुछ ऐसी विभूतियाँ के जीवन का समर्पण हैं, जो अपने लिये नहीं अपितु संपूर्ण समाज के लिये जिये, उनके जीवन का प्रत्येक पल राष्ट्र,संस्कृति और परंपराओं की पुनर्स्थापना के समर्पण में रहा। ऐसे ही जीवनदानी थे ठाकुर लालसिंह।
Read more1946 में मुस्लिम लीग के डायरेक्ट एक्शन में नर संहार देखकर उनका मन उद्वेलित हो गया। वह नरसंहार एकतरफा था। उनका मानना था कि साम्यवाद को इस नरसंहार का विरोध करना चाहिए, पर ईसाई और साम्यवादी तंत्र ने उस हिंसा के विरुद्ध कोई आवाज नहीं उठाई। यह हिंसा भारत विभाजन तक जारी रही। यहाँ से उनका मन बदला।
Read moreभारतीय मिट्टी में ऐसे वीर प्रत्येक कालखंड में जन्में जिन्होंने आक्रांताओं और अनाचारियों को न केवल चुनौती दी अपितु उन्हें झुकने पर भी विवश किया। ऐसे ही वीर यौद्धा हैं दुर्गादास राठौर।
Read moreभारत के विभाजन, लाखों लोगों के बलिदान और करोड़ों लोगों के बेघर होने के बाद भी नहीं रुका। इसमें तीन प्रकार की शक्तियाँ काम कर रहीं हैं। एक वे मुस्लिम कट्टरपंथी जो मुस्लिम समाज को राष्ट्र की मूल धारा से अलग और आक्रामक बनाये रखना चाहते हैं।
Read moreआर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।
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