भारतीय सांस्कृतिक एकता के प्रतीक : आदि गुरु शंकराचार्य
ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः – ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या और जीव ही ब्रह्म है। वेदांत की
Read moreब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या जीवो ब्रह्मैव नापरः – ब्रह्म ही सत्य है, जगत मिथ्या और जीव ही ब्रह्म है। वेदांत की
Read more“बन्धनं मरणं वापि जयो वापि पराजयः। उभयत्र समो वीरः वीरभावो हि वीरता।।” यह नीति वाक्य वीरत्व के गुण को उजागर
Read moreकलकत्ता के एक सारस्वत ब्राह्मण परिवार में, पंडित गांगेय नरोत्तम शास्त्री तथा रूपेश्वरी देवी के घर में जन्में आचार्य विष्णुकान्त शास्त्री का स्मरण हो आता है जो साहित्य, संस्कृति और राजनीति के अद्भुत समन्वयक थे। इन्होंने भारतीय राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाते हुए अपनी अमिट छाप छोड़ी है।
Read more“वतन के नाम पर जीना, वतन के नाम मर जाना, शहादत से बड़ी कोई इबादत हो नहीं सकती।।” भारत को
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