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तलाश ढाई आखर की : सामाजिक सरोकार की कहानियां

बसंती पवार जी एक सजग और संवेदनशील लेखिका हैं, जो जीवन को शब्दों के वातायन से तलाशती हैं, उन्हीं में कुछ खोजे हुए प्रसंगों पर आधारित ये कहानियां आपसे संवाद करने को उत्सुक हैं।अपनी सरल भाषा शैली में मन की गुत्थियों को सुलझाने की प्रक्रिया हैं ये कहानियां।

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प्रतिभा का विज्ञापन लघुकथा

उसी में सब्जी वाले की लड़की, कुली का बेटा, कुल्फी वाले की भतीजी, चूड़ी वाले की बेटी, बर्तन मांजने वाली का बेटा ये सारे विशेषण उन प्रतिभाओं के साथ लगा कर पेश किए जाते हैं।

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स्वर्णमृगी सपनों के पाखी – एक समीक्षा

गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रेकॉर्ड्स में स्थान पाए इस काव्य संग्रह के लिए डॉ शुभदा पाण्डेय बधाई के पात्र हैं। यह काव्य संग्रह इसलिए अनूठा है कि इसमें विश्व के कोने-कोने के एक सौ ग्यारह पक्षियों के चित्र सहित चित्रात्मक वर्णन और साथ ही अनेक सामाजिक समस्याओं का उल्लेख है।

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बिक गया सिलेंडर – लघुकथा

जन्मदिन मनाने का प्रचलन बहुत बढ़ा है। शहर, स्कूल, गांव, कस्बा कोई जगह नहीं बची है। जहां हैपी बर्थडे न हो रहा हो। इस सामाजिक जागरूकता की दुहाई देनी पड़ेगी। एक बात और है इसने समाज में भी एकता प्रदान की है। हर वर्ग, धर्म, जाति, भाषा, आय के लोग इसमें शामिल हैं।

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नमामि बुद्धम्

बुद्ध प्रसन्न होंगे ——
निर्मल सरोवरों में अधडूबे, हंसों की तैराहट पर, जिसमें खेलती हो मछलियां, निर्द्वंद, निर्विरोध, निर्विवाद, बुद्ध प्रसन्न होंगे –नदियों की निर्मलता से, उनके जर्जर, कर्कग्रस्त शरीर से मुक्त होने पर, जिन्हें हम केवल अपने स्वार्थ के लिए, साधते जा रहे हैं। बालुओं का होता शहरीकरण. ग अपहरण है नदियों का

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शुभदा पांडेय को मिला महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान

बंगलुरु शहर की प्रतिष्ठित संस्था ‘प्रेरणा साहित्यिक मंच ‘ ने शुभदा पाण्डेय की साहित्यिक गतिविधियों के आधार पर महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान दिया गया, जिसके अंतर्गत शाल, श्रीफल, माला, मानपत्र व स्मृति चिन्ह प्रदान किया गया।

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