लाल बाल पाल

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20 मई 1932 सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी विपिन चंद्र पाल का निधन

स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता विपिन चंद्र पाल न केवल एक क्रांतिकारी चिंतक थे, बल्कि उन्होंने आंदोलन को वैचारिक आधार देने के साथ-साथ देशभर में जनजागरण की लहर भी चलाई। “लाल, बाल, पाल” की त्रिमूर्ति में एक प्रमुख स्तंभ रहे पाल ने बंगाल विभाजन के विरोध में अंग्रेजी हुकूमत को खुली चुनौती दी और स्वदेशी आंदोलन की आधारशिला रखी।

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स्वदेशी आंदोलन के आर्य नायक पंजाब केसरी लाला लाजपतराय

आर्य समाज से संबंधित होने के कारण वे अपनी बात को तथ्य और तर्क के साथ रखना उनके स्वभाव में आ गया था। घर में आध्यात्मिक और धार्मिक पुस्तकों का मानों भंडार था। इनके अध्ययन के साथ उन्होंने वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की और रोहतक तथा हिसार आदि नगरों में वकालत करने लगे थे।

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सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी विपिन चंद्र पाल का पुण्य स्मरण

जब क्राँतिकारियों के शस्त्र गरजने लगे तो अहिसंक आँदोलन कारियों ने थोड़ी दूरी बनाई। तभी अंग्रेजों ने 1905 में बंगाल विभाजन का निर्णय लिया। तब दोनों धाराएँ समीप आईं। इसके अग्रणी नेताओं में विपिन चंद्र पाल हैं।

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