सिवाणा का पहला जौहर और साका : वीरता और बलिदान की अमर गाथा
सिवाणा दुर्ग के पहले जौहर और साके की रोमांचक गाथा, जिसमें सातलदेव सोनगरा और वीरांगनाओं ने स्वाभिमान व सम्मान की रक्षा हेतु अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया।
Read Moreसिवाणा दुर्ग के पहले जौहर और साके की रोमांचक गाथा, जिसमें सातलदेव सोनगरा और वीरांगनाओं ने स्वाभिमान व सम्मान की रक्षा हेतु अदम्य साहस और बलिदान का परिचय दिया।
Read Moreसिवाणा का किला वीरता और बलिदान की अनेक गाथाओं का साक्षी है। 1308 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय सातलदेव सोनगरा और रानी हंसादेवे ने वीरता और स्वाभिमान की रक्षा हेतु जौहर और साका किया। लगभग दो वर्षों तक दुश्मन का सामना करने के बाद, सिवाणा की 900 महिलाओं ने जौहर किया और हजार सैनिकों ने अंतिम युद्ध लड़ते हुए वीरगति प्राप्त की।
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