महाकुंभ

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शुभदा पाण्डेय की काव्यात्मा पुस्तक ‘महाकुंभ के माणिक मृगमन’ पर एक समीक्षात्मक दृष्टि

शुभदा जी की सद्यः प्रकाशित पुस्तक ‘महाकुंभ के माणिक मृगमन’ गंगा, महाकुंभ और आस्था के अद्भुत संगम की काव्यात्मक और संवेदनात्मक यात्रा है, जिसमें 28 कविताएं, 2 आलेख और छायाचित्रों के माध्यम से आध्यात्मिक अनुभवों को संजोया गया है।

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futuredधर्म-अध्यात्म

सामाजिक समरसता और राष्ट्रभाव का प्रतीक तीर्थयात्राएं

इस महाकुंभ में पचास करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी लगा चुके हैं। सबने एक दूसरे का कंधा पकड़कर, एक दूसरे का सहयोग करके डुबकी लगाई। किसी ने किसी से जाति नहीं पूछी, अमीरी और गरीबी का भेद नहीं था, अधिकारी और सामान्य का भी भेद न था। सबकी एक ही पहचान “सनातनी हिन्दू”।

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futuredधर्म-अध्यात्म

ऐसे जोगी जो सिर्फ़ संन्यासियों से ही दान लेते हैं

जंगम साधु कुंभ मेले का एक अनिवार्य अंग हैं। उनकी अनूठी परंपराएं, भजन, और वेशभूषा भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं की धरोहर हैं। उनका शिव भक्ति में लीन जीवन और समाज को दिया गया अध्यात्मिक संदेश आज भी प्रेरणादायक है। कुंभ मेले में उनकी उपस्थिति इसे और अधिक दिव्य और पवित्र बनाती है।

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