भारत में लोकतंत्र की जड़ें पाताल से भी गहरी : अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस
भारत में लोकतंत्र की जड़ें हड़प्पा सभ्यता, वैदिक सभा-समिति, गणराज्यों और बौद्ध संघों से लेकर संविधान तक फैली हैं। जानिए क्यों भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है।
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Read Moreसुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश में ओबीसी के लिए 27% आरक्षण लागू करने की मांग वाली याचिका को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विधानसभा द्वारा पारित कानून को सरकार केवल कानूनी राय के आधार पर लागू नहीं कर रही, जबकि इस पर कोई स्थगन आदेश नहीं है। विवाद के चलते राज्य में भर्ती प्रक्रियाएं भी प्रभावित हुई हैं।
Read Moreभारतीय संविधान की नींव में केवल विधिक प्रावधानों की ईंटें नहीं हैं, बल्कि वह सनातन की सांस्कृतिक चेतना, नैतिक समरसता,
Read Moreराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत सुप्रीम कोर्ट से विधेयकों पर समयसीमा के संदर्भ में राय मांगी है। यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘माना गया अनुमोदन’ की अवधारणा को लेकर उठाया गया है, जिसे राष्ट्रपति ने संविधान के विपरीत बताया है।
Read Moreउपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि संसद सर्वोच्च संस्था है और संविधान का अंतिम निर्णय चुने हुए जनप्रतिनिधियों का अधिकार है। उन्होंने अनुच्छेद 142 के प्रयोग को “परमाणु मिसाइल” बताते हुए न्यायपालिका पर लोकतांत्रिक संस्थाओं में हस्तक्षेप का आरोप लगाया। विपक्ष और न्यायिक हलकों में इस बयान को लेकर तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है।
Read Moreसुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायपालिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने अनुच्छेद 142 को “न्यायपालिका के हाथों में न्यूक्लियर मिसाइल” बताया और पूछा कि क्या अदालतें अब राष्ट्रपति को भी निर्देश देंगी? साथ ही उन्होंने न्यायाधीश के घर नकदी बरामदगी मामले में देरी पर भी चिंता जताई और कहा कि “अब समय है सच को सामने लाने का।”
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